नागपुर टुडे ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिसमें बताया गया है कि विदेशी और सड़ी सुपारी को सीमापार से लाकर भट्टियों में प्रोसेस कर ताज़ा दिखाया जा रहा है। विदेशी रिजेक्टेड सुपारी को बेहद सस्ते दामों में खरीदकर, टैक्स बचाकर बाजार में बेचने वाले काले कारोबारी लाखों ज़िंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। नागपुर के कुछ ट्रांसपोर्टर नकली इवे बिल बनाकर इस सड़ी सुपारी को मध्य और उत्तर भारत में भेजते हैं, और कई गोदाम और कोल्ड स्टोरेज इस तस्करी में सहयोग कर रहे हैं।
स्थानीय पुलिस, एफडीए और जीएसटी विभाग इस मामले से भली-भांति परिचित हैं, लेकिन कार्रवाई करने में चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि, अब तस्करों और काले कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, क्योंकि मामला सीबीआई के हाथों में जा चुका है। मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सुपारी तस्करी की जांच अब सीबीआई कर रही है।
सीबीआई ने मिजोरम के रास्ते म्यांमार से, फिर नेपाल और असम के जरिए इंडोनेशिया से होने वाली इस तस्करी पर कड़ा शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। कई जगहों पर छापे मारे गए हैं और तस्करी में शामिल कई लोग सीबीआई के डर से फरार हो गए हैं। इससे पहले भी सीबीआई ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क और कस्टम अधिकारियों समेत 3500 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिन्होंने सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ का नुकसान पहुंचाया था।
सूत्रों के मुताबिक, असम और मिजोरम में इस तस्करी को संचालित करने वाले प्रमुख लोगों की पहचान हो चुकी है, जिनमें नज़ाम ज़ाकिर, अल्ताफ काचार, और अन्य शामिल हैं। डीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, गुवाहाटी और मिजोरम में सुपारी का उत्पादन नहीं होता, फिर भी वहां से हजारों टन सुपारी के इवे बिल बनाए जा रहे हैं। यह साफ इशारा है कि जीएसटी विभाग के झूठे इवे बिल बनाकर यह गोरखधंधा चल रहा है, जो देश की अर्थव्यवस्था के साथ सीधा खिलवाड़ है।
इस तस्करी के मुख्य केंद्र नागपुर से सीबीआई अब मिजोरम, असम और विदेशी कनेक्शन की तलाश में जुटी है। नागपुर के गोदामों में रोजाना सैकड़ों ट्रक सुपारी उतारी जाती हैं, और यहां बने दर्जनों गोदाम इस तस्करी के प्रमुख अड्डे हैं।
पुष्पा की तरह इस तरह की तस्करी को अंजाम देने का काम करने वाले भी अपना बड़ा रुतबा रखते है जिनमे कैप्टेन सरदार तुषार उर्फ़ (जेम्स बॉन्ड) अनूप मोरयानी विद्यासागर चेतन वर्गों वर्मा रोड वेज़ बेखौफ़ बेहिसाब काला कारोबार चल रहा है जिसे शायद अब सीबीआय ही ब्रेक लगा सके.. पूर्वी राज्यों के बयारों की तरह यह तस्करी दक्षिण, मध्य और उत्तर भारत को जिस मुख्य केंद्र बिंदु पर जोड़ती है वह है नागपुर जिसकी सीधी डोर असम और मिजोरम से जुडी है ..
यहां रोजाना सैकड़ो ट्रक सुपारी आतीं है जाती है और यहां बने दर्जनों गोदामों मे उतारी जाती है.जांच अधिकारियो से साफ कर दिया है हर एक को जाँचा जायेगा..अब से कुछ ही साल पहले रेल्वे प्रशासन द्वारा 23 बोगी मे बिलकुल निम्न गुणवत्ता, सड़ी और खतरनाक सुपारी पकड़ी गयी थी जो नकली आयातको के नाम पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी की गई थी..
कुछ साल पहले रेलवे प्रशासन ने भी 23 बोगियों में सड़ी और खतरनाक सुपारी पकड़ी थी, जिसे नकली आयातकों के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी की गई थी। प्रशासन पर जब दबाव बनता है, तब ही छापेमारी होती है, लेकिन टेस्टिंग लैब में सारा मामला उलट दिया जाता है। नागपुर का अन्न और औषधि विभाग भी इन काले कारोबारियों का हितैषी बना हुआ है।
नागपुर के अधिकांश व्यापारी इस काले कारोबार पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। नागपुर के विधायक कृष्णा खोपड़े ने भी प्रशासन से ईमानदारी से कार्रवाई करने की अपील की है।
सीबीआई की डायरी में दर्ज कई नाम अब सार्वजनिक हो चुके हैं, जिनमें. विनोद कार्तिक रवि वंशानी गाजी मुन्ववर हारू कृष्णनी राजु वंशानी राजु अन्ना चिनोय हेमंत गोयल पप्पु महेंद्र जैन अनिल वर्धमान संजय बनारस रवि पटना शैलेन्द्र कामनानी सुनिल मोटवाणी और अन्य शामिल हैं। यह सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्षों से तस्करी में लिप्त रहे हैं।
अब, नागपुर पुलिस, एफडीए, जीएसटी विभाग और अन्य एजेंसियां इस प्राणघातक काले कारोबार को रोकने में नाकाम रही हैं। दो उच्च न्यायालयों के निर्देशों के बाद अब सीबीआई से ही उम्मीद की जा रही है कि वह इस घातक तस्करी पर रोक लगाए। समाज के हित में, इन अधिकारियों को कैंसर और मुँह से संबंधित रोगियों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि उनका जमीर जाग सके।
… नरेंद्र पुरी