Published On : Fri, May 10th, 2019

विधानसभा सीटों के हिसाब से बन रहा मनपा का बजट

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जून में वर्ष २०१९-२० का बजट प्रस्तुत करेंगे स्थाई समिति सभापति पोहाणे

नागपुर: वर्ष २०१९-२० भी मनपा के लिए आर्थिक मामले में कठिनाई भरा रहने की संभावना जताई जा रही है. क्यूंकि मनपा के खुद का आय संकलन कर पाने में मनपा प्रशासन असफल रहा है. इस वर्ष भी मनपा को अनुदान पर आश्रित रहना पड़ेगा. तैयार हो रही बजट आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर की जा रही,ताकि सत्तापक्ष की इसका भरपूर फायदा मिल सके.

मनपा के नए स्थाई समिति सभापति प्रदीप पोहाणे इन दिनों वर्ष २०१९-२० का बजट तैयार करने में व्यस्त हैं. इनके अनुसार जून १५ के आसपास पेश कर सकते हैं. संभावना यह भी जताई जा रही है कि इस बार भी नए सभापति पोहाणे जनता पर नए कर लादने से बचेंगे. साथ ही मनपा की अावक के अनुरूप ही बजट तैयार करने की बात कर रहे है. बजट पेश करने के बाद सभी जोन के सुझाव/बदलाव बाद मनपा प्रशासन प्रस्तुत बजट को लागू करेगी.

इसके तुरंत बाद से प्रस्तुत बजट के हिसाब से निधि वितरण का काम शुरू हो जाएगा. संभवतः डेढ़-२ माह में तय राशि का वितरण कर दिया जाएगी. क्यूंकि दीपावली के आसपास राज्य विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके एक-डेढ़ माह पूर्व आचार संहिता लग जाएगी. इसको ध्यान में रख निधि प्राप्त करने के बाद जो नगरसेवक जितना मेहनत कर खुद के प्रस्ताव ‘टेबल दर टेबल’ घुमायेंगा,वह उतना ही विकास कार्य करने के मामले में फायदेमंद रहेंगे. नए स्थाई समिति अध्यक्ष को इसी दौरान पुराने प्रस्ताव जो शुरू नहीं हुए या अधूरे हैं उनके लिए निधि देने के साथ ही साथ पुराने बकाया बिल का भुगतान के लिए निधि वितरण बड़ी समस्याओं में से एक रहेगा.

वैसे मनपा के ठेकेदार पिछले वर्ष से मनपा की निधि से काम करने के बजाय डीपीडीसी निधि से काम करने में रुचि दिखा रहे हैं. इसलिए पिछले वर्ष सैकड़ों टेंडर ४-५-६-७ बार पुनः आमंत्रित किया गया. इस चक्कर में अंतिम में लेने वाले ठेकेदार को प्रस्तावित दर में बिना किसी झंझट के काम मिल गए.बहुत से काम कोटेशन पर ठेकेदारों को कार्यादेश दिया गया लेकिन ठेकेदारों ने पैसों का अड़चन दिखा कर आजतक काम शुरू नहीं किया. इस वर्ष भी मनपा के ठेकेदारों का डीपीडीसी कार्यों पर ही जोर रहेगा.

उल्लेखनीय यह है कि हाल ही में मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर की ओर से वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट पेश किया गया था, जिसमें जीएसटी से 1033.92 करोड़ की आय होने की आशा जताई गई थी. विशेषत: आयुक्त ने प्रतिमाह 86.16 करोड़ मिलनेवाले अनुदान के आधार पर ही जीएसटी से पूरे वर्ष मिलने वाले अनुदान का वास्तविक आकलन किया था, किंतु नए वित्तीय वर्ष के पहले ही माह में 7 करोड़ का अनुदान बढ़ाया गया, जिससे अब मनपा को नए वित्तीय वर्ष में जीएसटी से 1116.60 करोड़ का अनुदान प्राप्त होगा. आंकड़ों के अनुसार पूरे वर्ष में मनपा को 82.68 करोड़ का लाभ होगा. इससे भले ही लंबे समय से मनपा वित्तीय संकट में रही हो, किंतु इससे उभरने के लिए कुछ हद तक मदद होगी.