Published On : Wed, Mar 6th, 2019

अयोध्या मसला सुलझाने का दारोमदार अब इन मध्यस्थों पर टिका, SC में दिए नाम

Advertisement

अयोध्या विवाद पर पहले भी कई बार मध्यस्थता की कोशिशें हो चुकी हैं, लेकिन हर बार नतीजा नहीं निकला. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कमान संभाली है, तो उम्मीद जताई जा रही है कि अयोध्या का रास्ता मध्यस्थता के जरिए निकलेगा.

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर पर ऐतिहासिक सुनवाई का दिन रहा. देश की सबसे बड़ी अदालत में संबंधित पक्षकारों ने अयोध्या केस में मध्यस्थों के नाम लिख कर दे दिए हैं. आज सुबह कोर्ट ने पक्षकारों से मध्यस्थ करने वालों के नाम मांगे थे.

Gold Rate
15 May 2025
Gold 24 KT 92,100/-
Gold 22 KT 85,700/-
Silver/Kg 94,800/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

हिंदू महासभा ने पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा, पूर्व सीजेआई जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक के नाम मध्यस्थता के लिए दिए हैं. महासभा आपसी बातचीत के लिए तैयार है. सीजेआई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जजों में जस्टिस कुरियन जोसेफ भी शामिल थे. रिटायर होने से पहले उन्होंने कई बार सरकार पर निशाना साधा. जस्टिस कुरियन ने जजों की नियुक्ति में देरी पर भी सरकार को लपेटा था.

निर्मोही अखाड़ा ने भी मध्यस्थता के लिए तीन नाम दिए हैं. इनमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ, एके पटनायक और जीएस सिंघवी शामिल हैं. वहीं हिंदू याचिकाकर्ताओं की तरफ से रिटायर्ड जज अनिल दवे का नाम हो सकता है.

अहम बात ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि ये सिर्फ जमीन विवाद नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है. सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि बातचीत के रास्ते ही अयोध्या विवाद का हल निकले, लेकिन क्या ऐसा संभव हो पाएगा, इस पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं.

अयोध्या विवाद पर पहले भी कई बार मध्यस्थता की कोशिशें हो चुकी हैं, लेकिन हर बार नतीजा नहीं निकला. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कमान संभाली है, तो उम्मीद जताई जा रही है कि अयोध्या का रास्ता मध्यस्थता के जरिए निकलेगा.

देश की सबसे बड़ी अदालत ये चाहती है अयोध्या केस का हल बातचीत से निकले. आज सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में लंबी सुनवाई की. इस दौरान ये बड़ी बातें रहीं-

पहली बड़ी बात
सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि केस का हल बातचीत से निकले, इसलिए कोर्ट ने आज ही पक्षकारों से नाम मांगे हैं. कोर्ट ने नाम देने का समय चार बजे तक निर्धारित किया था.

दूसरी बड़ी बात
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम जल्द इस मामले पर फैसला देना चाहते हैं. माना जा रहा है कि दो से तीन दिन में मध्यस्थता पर फैसला आ जाएगा.

तीसरी बड़ी बात
बाबरी मस्जिद पक्षकार की तरफ से मध्यस्थता का विरोध नहीं किया गया, जबकि हिन्दू महासभा, निर्मोही अखाड़ा और राम लला पक्ष की ओर से मध्यस्थता का विरोध किया गया.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान आज क्या हुआ, अब आपको ये बताते हैं-
कोर्ट की सुनवाई शुरू होते ही हिन्दू महासभा ने अपना पक्ष रखा. हिन्दू महासभा की ओर से कहा गया कि भले ही पक्षकार मध्यस्थता के लिए मान जाए, लेकिन लोगों को ये मंजूर नहीं होगा. हिन्दू महासभा ने दलील दी कि मध्यस्थता के लिए पब्लिक नोटिस निकालना होगा. इस तरह इस प्रक्रिया में सालों लग जाएंगे. इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि इसके लिए पब्लिक नोटिस की क्या जरूरत है. सुनवाई के दौरान जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा कि ये सिर्फ जमीन का मामला नहीं है, बल्कि भावनाओं से जुड़ा मामला भी है. इसलिए कोर्ट चाहता है कि आपसी बातचीत से हल निकले. जस्टिस एस ए बोबड़े ने इससे आगे बढ़ते हुए कहा कि हम बाबर की घुसपैठ को तो नहीं बदल सके, लेकिन हम मौजूदा हालात को देख सकते हैं.

हिन्दू महासभा ने क्या कहा
हिन्दू महासभा की तरफ से कहा गया कि हिन्दू मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि ये उनके भगवान की जमीन है. वो इसे जाने नहीं दे सकते. इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये आपका पक्ष है. आप मध्यस्थता शुरू करने से पहले ही इसकी असफलता मान रहे हैं. ये सही नहीं है. हम किसी को कुछ छोड़ने के लिए नहीं कह रहे. हम इस विवाद के असर और देश पर इसके राजनीतिक असर को समझते हैं. जस्टिस बोबड़े ने कहा कि मध्यस्थता को गोपनीय रखा जाना चाहिए.

बाबरी मस्जिद पक्षकार ने क्या कहा
इस पर बाबरी मस्जिद पक्षकार की ओर से कहा गया कि इसके लिए आदेश पारित करना होगा जिससे मध्यस्थता के बारे में कोई भी बात बाहर ना आए. साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन की तरफ से ये भी कहा गया कि मध्यस्थता के लिए सभी पार्टीयों की सहमति जरूरी नहीं है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने क्या कहा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये विवाद सिर्फ दो पक्षों के बीच नहीं, बल्कि दो समुदायों के बीच है. मुस्लिम पक्षकारों की तरह से कहा गया कि मध्यस्थता का सुझाव कोर्ट की तरफ से आया है. कोर्ट को तय करना है कि बातचीत कैसे होगी. मुस्लिम पक्षकार और निर्मोही अखाड़ा बातचीत के पक्ष में है, लेकिन सहमति कैसे बनेगी, सुनवाई के दौरान मौजूद सुब्रमण्मय स्वामी ने कहा जमीन को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता. सिर्फ इस पर बात हो सकती है कि जो जमीन ली गई है उसका मुआवजा दिया जाए. राम लला पक्षकार की ओर से कहा गया कि अयोध्या राम जन्म भूमि है. इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता.

निर्मोही अखाड़ा ने क्या कहा
निर्मोही अखाड़ा पक्षकार की ओर से कहा गया कि जमीन पर हमारा अधिकार है. हमें पूजा करने का हक है. सभी दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला फिलहाल सुरक्षित रख लिया है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement