जनार्दन मून ने की सात दिनों के भीतर वन विभाग और शूटर पर कार्रवाई की मांग
नागपुर: पांढरकवड़ा की बाघिन अवनी को मारने की ही मंशा सरकार और वन विभाग के अधिकारियों की थी. उसे मारने के दौरान एक ट्रैंक्युलाईसाझर गन और दो राइफल थी. अवनी को पीछे से मारा गया और कहा गया कि वह वन विभाग के कर्मियों पर हमला कर रही थी.
इसलिए उसे मारा गया. इस पुरे मामले में शूटर असगर अली को बचाने के लिए वन विभाग और वन मंत्री मैनेज कर रहे है. ऐसे में जब तक कार्रवाई नहीं होती वे इस मामले में डटी रहेगी. ऐसी जानकारी एनिमल एक्टिविस्ट संगीता डोगरा ने पत्रकार भवन में आयोजित पत्र परिषद् में दी. इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष जनार्दन मून, सुरेन्द्रपाल सिंग, मोहम्मद शाहिद शरीफ समेत अन्य लोग मौजूद थे.
इस दौरान संगीता ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों को बैलिस्टिक रिपोर्ट के लिए कह रही है. उन्होंने अवनी को शूट करने के मामले को पूरी तरह से साजिश करार दिया है. अवनी को मारे जाने के मामले में अधिकारी झूठ बोल रहे है. पिछले हफ्ते सिविल लाईन स्थित वन भवन में हेड ऑफ़ दी फॉरेस्ट उमेश अग्रवाल ने बहोत गलत तरीके से उन्हें ऑफिस से बाहर निकलवाया था. वह किसी भी बात का जवाब नहीं देना चाहते थे. विभाग के पांच लोगों को उन्होंने मुझे निकालने के लिए कहा था. संगीता का कहना है कि उनके पास सबूत और उनकी हर बात सही होने के कारण वन विभाग उनसे बचने की कोशिश में लगा रहता है. इसलिए वन विभाग इस मामले से बचता हुआ नजर आ रहा है.
इस परिषद् में मौजूद जनार्दन मून ने कहा की अवनी को शूट नहीं उसका खून किया गया है. जिस गन से उसे मारा गया. उसे जब्त नहीं किया गया है.
इस मामले में नागपुर के वन अधिकारियों से लेकर यवतमाल के अधिकारियों ने भी अनियमितता की है. उन्होंने कहा की अवनी को मारने के मामले में मुनगंटीवार ने जांच समिति गठित करनी चाहिए थी. उन्होंने इसे हत्या करार देते हुए वन विभाग के अधिकारियों और शूटर असगर अली पर 7 दिनों में कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि वन्यजीव संरक्षण एक्ट के तहत रालेगांव के परिसर के जंगल को नेशनल पार्क घोषित किया जाए. जिससे की ओर मनुष्य प्राणहानि के साथ ही वन्यप्राणियो की भी हत्या नहीं होगी.
पत्र परिषद में मौजूद आरटीई एक्शन कमेटी के चैयरमेन मो. शाहिद शरीफ ने कहा कि हेड ऑफ़ दी फॉरेस्ट उमेश अग्रवाल ने एक महिला एक्टिविस्ट को जिस तरह से पुलिस को बुलवाकर ऑफिस से निकलवाया है. यह पूरी तरह से गलत है. कौन से नियम के तहत उन्होंने पुलिस बुलवाई. पीओआर में शूटर का नाम नहीं डालना कही न कही संदेह पैदा करता है. उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि दिल्ली से नागपुर आयी एक्टिविस्ट संगीता डोगरा की जान को प्रशासन और वन विभाग से खतरा है. उन्होंने अग्रवाल पर कार्रवाई की मांग इस दौरान की है.