– इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी सीमेंट सड़क कि सिंगल टेंडर को बिना नियम-शर्तें पूरी किये बगैर WORKORDER दिया गया और फर्जी खाते अर्थात ठेकेदार के मनचाहे खाते में करोड़ों रूपए भुगतान किये गए,जब मामला उठा तो WORK DONE बता कर लोकायुक्त को गुमराह किया जा रहा,जबकि सडकों की गुणवत्ता की पोल निम्न चित्र कर रहे
नागपुर : लोकायुक्त में मनपा सीमेंट सड़क फेज -2 का मामला पहुँचते ही दोषी ठेकेदार की हमदम मनपा की प्रभारी CE ने मनपा से पिंड छुड़ा कर NMRDA में स्थाई हो गई,इसके साथ ही ठेकेदार के एक और पुराने सहयोगी मनपा के SE जो दिसंबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं,उन्होंने लोकायुक्त की पहली सुनवाई के बाद डेढ़ माह की छुट्टी पर चले गए.फिर इनकी जगह सीमेंट सड़क घोटाले के मुख्य आरोपी मनोज तालेवार को प्रशासन ने PWD का अतिरिक्त जिम्मेदारी देकर पुनः SE बना दिया।फिर मामले की निष्पक्ष जाँच और दोषी पर कड़क कार्रवाई कैसे होगी,समझ से परे हैं,ऐसा लगता हैं कि उक्त मामले को निष्पक्षता से निपटने में आयुक्त असक्षम हैं इसलिए उन्हें अंतिम और ठोस निर्णय लेने में 14 माह लग चुके हैं.
सिंगल टेंडर : याद रहे कि उक्त मामला सितंबर 2020 को उठाया गया,इससे पहले सम्बंधित काग़जाते उपलब्ध करवाने में मनोज तालेवार और उनके सम्बंधित जोन सहायक गेडाम ने महीनों गुमराह किया।कागजातों के आधार पर उक्त सीमेंट सड़क के टेंडर प्रक्रिया में तह रणनीति के तहत (आर्थिक समझौते के रूप में पार्टी फंड 4% देने पर ) मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा मुंबई-मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणि (जेवी) को सिंगल टेंडर दिया गया,ऐसा करना अर्थात अति-महत्वपूर्ण काम होने पर ऐसा निर्णय लिया जाता हैं,लेकिन ऐसा नहीं था,कुछ वक़्त और लिया जाता तो प्रतिस्पर्धी मिले होते,इससे मनपा का आर्थिक नुकसान नहीं होता।
बोगस वर्कऑर्डर : टेंडर शर्त के हिसाब से उक्त ठेकेदार कंपनी ने कागजाते मनपा में जमा नहीं करवाई,JV का पंजीयन नहीं करवाया,JV के आधार पर स्वतंत्र पैन कार्ड नहीं बनवाया,JV का स्वतंत्र खाता बैंक में नहीं खुलवाया। इसके बावजूद मनपा प्रशासन ने आंखमूंद कर WORKORDER दे दिया।
अनाड़ी को ठेका रोड का सत्यानाश : ठेका मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा के अनुभव के आधार पर दिया गया,और सड़क निर्माण 40% का JV पार्टनर डीसी ग़ुरबक्षाणि ने किया जिसने कभी सीमेंट सड़क का निर्माण किया ही नहीं था,नतीजा आज सड़क में 4 दर्जन से अधिक क्रेक,जगह जगह धंसा,स्टील की कमी आदि देखी जा रही,इसकी एक्सरे जाँच करने पर दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।इससे सम्बंधित ताज़ा चित्रों की लिंक देखने पर अंदाजा लगाया जा सकता है.
बोगस खाते में भुगतान: नियमानुसार टेंडर शर्त पूरी करने के बाद निर्माण किये गए JV खाते में भुगतान देने की सिफारिश PWD के SE,वित्त विभाग में बैठे सीमेंट सड़क के ऑडिटर और CAFO ने करनी चाहिए थी लेकिन सबकुछ आर्थिक समझौते के तहत 40% के JV पार्टनर मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणि के पुराने एकल खाते में शत-प्रतिशत पूर्ण भुगतान कर दिया गया.इसके बाद भी शेष भुगतान करने हेतु फाइलें अंतिम मुहाने तक पहुँच चुकी हैं.
आयुक्त की समिति की बोगस रिपोर्ट : आयुक्त ने मामला गड़बड़ाते हुए तत्कालीन CE लीना उपाध्ये के नेतृत्व में एक जाँच समिति का गठन किया,इसमें CE,ADDITIONAL SE (WATERWORKS),CAFO,EE LAKADGANJ जोन और एक क़ानूनी सलाहकार को रखा.इस समिति का रिपोर्ट लकड़गंज जोन के उपअभियंता पझारे से बनवाया गया,जिसको विषय की ABCD नहीं मालूम,वह हर बात उक्त धांधली में सहयोग देने वाले गेडाम से सलाह लिया करता था.इसके फर्जी रिपोर्ट पर समिति सदस्यों ने हस्ताक्षर पर टेंडर प्रक्रिया को सही ठहराया और भुगतान मामले में भी गड़बड़ी नहीं दिखाई गई.कुल मिलकर समिति ने अनियमितता ठहराया।इस पर आजतक आयुक्त ने कोई ठोस न समीक्षा की और न ही निर्णय लिया।
लोकायुक्त की दूसरी सुनवाई : लोकायुक्त की दूसरी सुनवाई नवम्बर के दूसरे सप्ताह में है,इस दिन आयुक्त की ओर से क्या सफाई दी जाती है,जिस पर लोकायुक्त अंतिम निर्णय लेंगे।