विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना(मनसे) का चुनाव लड़ना तय है, परन्तु कितने और किसके खिलाफ उम्मीदवार उतारेगी, यह अधिकार सुप्रीमो राज ठाकरे को सभी ने सौपा है. पूर्वी विदर्भ ३२ विधानसभा सीटों के लिए २०५ इच्छुकों ने दावेदारी सम्बन्धी लिखित परीक्षा दी है. कुल सभी को राज ठाकरे के आदेश का इंतज़ार है.
विगत ६-७ वर्षो में राज ठाकरे ने मनसे स्थापना पश्चात स्थानीय बेरोजगारों को सरकारी-निजी क्षेत्रो में रोजगार देने के मामले में प्राथमिकता देने, राज्य को टोल मुक्त करवाने आदि आंदोलन कर राज्य में कांग्रेस-भाजपा-सेना-एनसीपी जैसे दिग्गज पक्ष होने के बाद मनसे के लिए अलग स्थान सह वातावरण तैयार किया. आज उक्त चारों पार्टी को आजमाने के बाद पर्यायी पार्टी के रूप में मनसे ने वातावरण तैयार किया है.
विगत विधानसभा चुनाव में अल्प मनसे उम्मीदवार ही विधायक चुन कर आये थे.लेकिन इस दफे सिर्फ पूर्वी विदर्भ ३२ सीटों के लिए २०५ इच्छुकों की दावेदारी ने पक्ष नेतृत्व का हौसला बुलंद कर दिया है.इसमें से नागपुर जिले के सभी १२ सीटों के लिए २७ इच्छुकों ने उम्मीदवारी हेतु लिखित परीक्षा दी है. पक्ष नेतृत्व ने पूर्वी विदर्भ प्रभारी हेमंत गडकरी से पूर्वी विदर्भ में मनसे की स्थिति का सम्पूर्ण सूक्ष्म रिपोर्ट माँगा, जिसे तैयार कर पेश किया जा चूका है.
मनसे अगर पूर्वी विदर्भ के सभी ३२ सीटों पर चुनाव नहीं लड़ी तो पूर्वी विदर्भ में नागपुर शहर, हिंगणघाट(वर्धा), चंद्रपुर के सीटों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित की हुई है. जिसमें पश्चिम नागपुर, दक्षिण नागपुर, दक्षिण-पश्चिम नागपुर, हिंगणघाट, मूल, वरोरा, बल्लारशाह, चिमूर आदि सीटो का समावेश है.
मनसे नेता गडकरी का मानना है कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में मोदी का वातावरण था, उसी तरह राज्य विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे का वातावरण है. अगर मनसे सुप्रीमो राज ने नागपुर शहर के दक्षिण-पश्चिम में चुनाव लड़ने का निर्णय तो भाजपा उम्मीदवार देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ खुद हेमंत गडकरी मैदान में नज़र आएंगे. पश्चिम नागपुर से प्रशांत पवार और दक्षिण नागपुर से प्रवीण बरडे उम्मीदवारी मांगने में शीर्ष स्थान पर है.
उल्लेखनीय यह है कि राज ठाकरे आगामी विधानसभा चुनाव में मनसे भाग लेंगे तो राज्य के अधिकांश सीटों में उम्मीदवार उतार कर पार्टी सह कार्यकर्ताओं को मजबूती प्रदान करेंगे. अगर दिमाग से उम्मीदवार उतारे तो सेना के खिलाफ और विशेष किसी नेता के उम्मीदवारों के खिलाफ मनसे उम्मीदवार नज़र आएंगे, जिससे मनसे को आंतरिक नुकसान होना लाज़मी है. तय है कि मनसे इच्छुक सह समर्थक अपनी इच्छापूर्ति को लेकर उफान पर है, जिस विधानसभा में इच्छुकों ने कड़ी मेहनत की और मनसे सुप्रीमो ने उम्मीदवारी नहीं दी तो वह शांत नहीं बैठेगा, चुनाव में किसी न किसी रूप से अन्य उम्मीदवारों के चुनाव में प्रभावित करेगा, यह मनसे के लिए काफी नुकसानदायक साबित होगा.