Published On : Wed, Oct 31st, 2018

जैसे सरदार ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया उसी तरह सरकार राम मंदिर के लिए करे पहल – आरएसएस

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ज़बरदस्ती क़ब्ज़ाई भूमि पर पढ़ी गई नमाज़ क़बूल नहीं होती

नागपुर/मुंबई: सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर की सुनवाई के लिए समय निर्धारित हो जाने के बाद एक बार फिर देश में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरमा गया है। राम मंदिर निर्माण की गूँज मुंबई में मंगलवार से शुरू अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में भी सुनाई दी। बैठक के पहले दिन प्रेस वार्ता में आरएसएस के सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने राम मंदिर के सवाल के जवाब में कहाँ कि राम मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान और गौरव का विषय है। जिस तरह रदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद खुद प्राणप्रतिष्ठा में गए थे।

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उसी तरह सरकार को चाहिए कि वह मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहीत कर उसे राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे। इसके लिए सरकार कानून बनाए। राम मंदिर मुद्दे को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न हिंदू –मुस्लिम का है और न ही मंदिर-मस्जिद के विवाद का है। बाबर के सेनापति ने जब अयोध्या में आक्रमण किया तो ऐसा नहीं था कि वहाँ नमाज के लिए जमीन नहीं थी। वहाँ खूब जमीन थी, मस्जिद बना सकते थे।

पर उसने आक्रमण कर मंदिर को तोड़ा था। पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में यह साफ़ हो चुका है कि इस स्थान पर पहले मंदिर था। इस्लामी विद्वानों के अनुसार भी ज़बरदस्ती क़ब्ज़ाई भूमि पर पढ़ी गई नमाज़ क़बूल नहीं होती है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने फ़ैसले में कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद जरुरी नहीं होती, ये कहीं भी पढ़ी जा सकती है।

विजयदशमी उत्सव के दौरान अपने संबोधन में संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने यही बात दोहराई थी। उनके इस बयान के बाद राम मंदिर को लेकर बयानबाजी तेज हो गई। खुद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण किये जाने की माँग उठाई है। लोकसभा चुनाव से पूर्व संघ अपनी तरफ से सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए दबाव बनाता दिख रहा है। मुंबई में आयोजित इस बैठक में देश भर के 350 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे है।

संघ स्वयंसेवकों को देगा आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग
सरकार्यवाह के मुताबिक संघ के स्वयंसेवक हर दैवीय आपदा में सेवा देते हैं, लेकिन वे इन कामों के लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं। इस बैठक में विपदा राहत कार्य में सेवा देने वाले संघ के स्वयंसेवकों को कैसे प्रशिक्षित किया जाए इस पर भी चर्चा होगी। वर्तमान में 1.50 लाख सेवा प्रकल्प स्वयंसेवक चलाते हैं। अब देश भर में स्वयंसेवकों के बीच एक सर्वे कराया जा रहा है कि वे किस विषय में रुचि रखते हैं। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें सेवा कार्यों में जोड़ा जाएगा। इस पर भी चर्चा होगी।

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