Published On : Wed, Jul 13th, 2016

सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बहाल की, राष्ट्रपति शासन रद्द

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nabam-tuki_650x400_81455975475New Delhi: अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने आज अहम फैसला सुनाते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार को बड़ा झटका दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बहाल करते हुए राष्ट्रपति शासन रद्द कर दिया। बता दें कि 26 जनवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था।

यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी सरकार को वापस किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम घडी की सुंइयां वापस कर सकते हैं। कोर्ट ने राज्य में 15 दिसंबर 2015 वाली स्थिति बरकार रखने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्वनर को विधानसभा बुलाने का अधिकार नहीं था। यह गैरकानूनी था। 15 दिसंबर 2015 के बाद से सारे एक्शन रद्द कर दिए गए हैं।

हालांकि जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मदन लोकुर ने अलग अलग फैसले सुनाए। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह स्वत संज्ञान लेकर विधानसभा का सत्र बुला सकता है या नहीं।

क्या था पूरा मामला?

दरअसल अरुणाचल प्रदेश के स्पीकर नबम रेबिया ने सुप्रीम कोर्ट में ईटानगर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 9 दिसंबर को राज्यपाल जेपी राजखोआ के विधानसभा के सत्र को एक महीने पहले 16 दिसंबर को ही बुलाने का फैसले को सही ठहराया था।

इसके बाद 26 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और कांग्रेस की नबम तुकी वाली सरकार परेशानी में आ गई क्योंकि 21 विधायक बागी हो गए। इससे कांग्रेस के 47 में से 26 विधायक रह गए। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दूसरी सरकार बनने से रोकने की तुकी की याचिका नामंजूर कर दी। 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही बागी हुए कालीखो ने 20 बागी विधायकों और 11 बीजेपी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री की शपथ ले ली और सरकार बना ली थी।