‘आप’ ने विभागीय आयुक्त को जल्दी पुलिया बनाने हेतु सौंपा ज्ञापन
Nagpur: आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने डॉ देवेन्द्र वानखड़े के नेतृत्व में नागपुर के जिल्हाधिकारी श्री. अनूप कुमार को अजनी रेलवे पुलिया जल्दी बनाने हेतु निवेदन सौंपा. इसके पहले आप के सैकड़ों कार्यकर्ता भरी बारिश में “जर्जर पुलिया, नया बनाओ, नया बनाओ”, “१२५ साल पुराना पुलिया जल्दी बनाओ”, “पहले पुलिया बाद में मेट्रो” “गडकरी-फडनविस इस पुलिया पर चलकर दिखाओ” ऐसे नारे लगाकर जोरदार प्रदर्शन अजनी रेलवे पुलिया पर किया. पुलिया की आत्मकथा का बैनर जिसमे लोगों की जान बचाने के लिए हमारे राज्य के मुख्यमंत्री विधानसभा के अंदर आनेवाला यह पुलिया का जल्दी जीर्णोद्धार करने का आव्हान मा. श्री. देवेन्द्र फडनवीस से किया गया
पुलिया में कई जगह दरारें दिखने के बाद भी अधिकारीयों की लापरवाही का नतीजा है की पुलिया में छेद नजर आने लगा है जिसमे नीचे की पटरियां आर पार दिखाई दे रही है. ऐसे में कभी भी यह पुलिया दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है और नीचे जानेवाली रेलवे गाड़ियों के मुसाफिरों के साथ साथ पुलिया पर से गुजरनेवाले नागरिकों को अपनी जान गवानी पड़ सकती है. लेकिन रेलवे और नागपुर महानगर पालिका के अधिकारी पुलिया की आयु छुपाने की कोशिश में लगे हुए है. रेलवे के अधिकारी ने पुलिया को ७५ वर्ष का करार दिया तो नागपुर मनपा उसे १०० वर्ष का बता रही है. जबकि इस पुलिया को बनकर करीब १३० साल हो गए है. केंद्रीय मंत्री श्री. नितिन गडकरी पुरे भारत में रोड और पुलिया बनाने का कीर्तिमान बना रहे है फिर भी इस पुलिया के एवज में बनने वाला फोर लेन पुलिया सिर्फ कागज़ पर ही बन पाया है. यह अभागा पुलिया गिरने के लिए किसी बड़े नेता या अधिकारी के इंतजार में रुका हुआ है. नेताओं और स्ट्रक्चरल ऑडिट करनेवाले अधिकारीयों ने इस पुलिया पर से जाने से मना कर दिया है.
मुंबई-गोवा हाईवे पर सावित्री नदी पर बना ब्रिटीश कालीन पुल ५ दिन पहले क्षतिग्रस्त होने के बाद तो यह पुलिया पर्यटन स्थल बन चुकी है. पुलिया पर नागरिकों के अलावा स्कूली बच्चे छेद से नीचे गुजरनेवाली रेलगाड़ियों को देखते नजर आते है.
रात को चोरी छुपे ५० टन से ज्यादा वाले ट्रक को इस पुलिया से गुजरने से रोकने हेतु हाईटगेज लगाने में भी रेलवे प्रशासन द्वारा देरी करने की वजह भी खोज का विषय है. नागपुर की सड़कों में गड्डे की वजह से रोज किसी ना किसी बेगुनाह नागरिक की जान जा रही है, लेकिन जवाबदेही तय नहीं होने के कारन अधिकारी भी अपने आकाओं को खुश करके मोटा माल जमा कर रहे है. जनता से दंड वसूलने में काफी तेजी दिखानेवाली सरकार अपने अधिकारीयों को दण्डित करने के बजाय सरंक्षण देने का काम कर रही है. अपनी दो जून के रोटी के लिए भागम भाग करनेवाले आम आदमी की जान की परवाह करनेवाला कोई नहीं है.
इस आन्दोलन में इस रैली में जगजीत सिंग, अशोक मिश्रा, सोनू ठाकुर, संदीप सिंह, प्रशांत निलाटकर, अविराज थूल, सुरेंद्र समुंद्रे, राकेश दवे, निलेश गोयल, कविता सिंघल, गीता कुहिकर, संजय जिवतोड़े, चंद्रशेखर परड, करण शाहू, दिनेश पाण्डेय, अनिल बिन्जाडे, संजय शर्मा, देवा गौरकर, शंकर इंगोले, किरण वेलोर, प्रभात अग्रवाल, वंदना मेश्राम, अम्बरीश सावरकर, रवि गिदोड़े, सचिन पारधी, शिरीष तिडके, अशोक बाहेती, रविन्द्र डोंगरे, नायडू काका, चोपड़े सर, अजय धर्मे, हेमंत बनसोड, विनोद अलमोधकर, कमल श्रीवास्तव, मुन्ना तिवारी आदि शामिल थे.