Published On : Wed, Nov 29th, 2017

अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाये जाएंगे, नहीं मिलेगा दूसरा कार्यकाल

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नागपुर: गुजरात चुनाव की गहमागहमी के बीच एक विस्फोटक राष्ट्रीय सियासी खबर सतह पर आने से फिलहाल रुकी हुई है।या यूं कह लें कि इस खबर रूपी मेढक को जबरिया दबा कर कुएँ में धकेल दिया जा रहा है।ताकि वह कूद कर बाहर ना आ जाये।लेकिन अंदरखाने के खबरची ने भांप लिया।भांप लिया कि सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी में बड़ा सांगठनिक उलट-फेर होने जा रहा है।

राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारे से छन-छन कर बाहर आ रही जानकारियों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को दूसरा कार्यकाल नहीं मिलेगा।संभवतः अगले वर्ष जनवरी माह में ही शाह की जगह किसी अन्य को पार्टी अध्यक्ष चुन लिया जाएगा।बताया जा रहा है कि नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में संभावित परिवर्तन की रुप-रेखा तैयार कर ली गयी है।यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तदहेतु सहमति मिल चुकी है।

खबरों के अनुसार, गुजरात विधान सभा चुनाव में भाजपा की पहले की तुलना में कमजोर स्थिति के लिए शाह-पुत्र जय शाह प्रकरण को एक बड़ा कारण माना जा रहा है।पार्टी एवं संघ को भय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बना विपक्ष हमलावर हो जाएगा जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा।

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शाह की कार्यप्रणाली को ले कर पार्टी के अनेक नेता असंतुष्ट रहते हैं।सामान्य कार्यकर्ताओं के बीच भी व्यापक नाराज़गी है।भाजपा शासित राज्यों के अनेक मुख्यमंत्री शाह के “अनावश्यक हस्तक्षेप” से नाराज़ हैं।खुल कर विरोध में बोलने की हिम्मत तो वे नहीं कर सकते,उनकी नाराज़गी के संकेत स्पष्ट हैं।

अपनी छवि के प्रति अत्यंत ही सजग-सतर्क रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शाह की’छवि’ एवं कार्यप्रणाली से अंदर ही अंदर क्षुब्ध बताए जा रहे हैं। शाह के साथ अत्यधिक घनिष्ठता के बावजूद मोदी की चिंता “शांतिदूत” के रुप में अपनी वैश्विक छवि की स्थापना को लेकर है। मोदी अपने अतीत से इतर नेहरू-अटल की तरह शांतिदूत के रूप में वैश्विक स्वीकृति की इच्छा रखते हैं। पार्टी अध्यक्ष शाह को अपनी इस इच्छा पूर्ति के मार्ग में मोदी अंदर ही अंदर कंटक मानने लगे हैं।मोदी चाहते हैं कि शाह स्वतः अध्यक्ष पद का त्याग कर दें।

अब हालात ऐसे बन रहे हैं कि अगले वर्ष भाजपा अपने लिए नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने को विवश हो जाएगी।अमित शाह दूसरी बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे।

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