Published On : Tue, Apr 4th, 2017

काटोल में राजमार्ग पर शुरू है शराब की दुकानें !

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नागपुर: विगत सप्ताह देश की सर्वोच्च न्यायलय ने सभी राजमार्गो पर स्थित शराब दुकानों को बंद करने के कड़क आदेश दिए. लेकिन काटोल नगरपरिषद प्रशासन ने निर्देशों को तोड़-मरोड़कर काटोल शहर से गुजरने वाली राजमार्गो पर शराब दुकाने/बार आदि शुरू रखने हेतु संचालकों को अनुमति दी है. उक्त मामला शराब व्यवसाय/विक्रेताओं से सम्बंधित सभी संगठनों में गर्मागर्म चर्चा का विषय बना हुआ है.

उक्त मामला उजागर होते ही काटोल नगर परिषद् के कार्यकारी मुख्य अधिकारी पर राज्य सरकार को गुमराह करने का आरोप लगना शुरू हो गया है. आरोपकर्ता मोदी फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि काटोल शहर के मध्य से एक ही मार्ग से दो राजमार्ग गुजरते है. इसमें से हैदराबाद से भारी वाहन/कंटेनर आदि २४ घंटे वर्धा-खरांगणा-कोंढाळी-काटोल-सावरगाव से गुजरते हैं और यह मार्ग चिचोली गांव में मिलती है. यह गांव नागपुर-भोपाल राष्ट्रीय महामार्ग पर स्थित है. इस मार्ग पर आवाजाही करने वाले भारी वजनदार कंटेनर/वाहन आदि छिंदवाड़ा, भोपाल, दिल्ली आवाजाही करते है. यह मार्ग आज भी राज्य महामार्ग की सूची में अंकित है. नागपुर-काटोल -सावरगाव -नरखेड मार्ग को राज्यमार्ग क्रमांक ३२४ के नाम से केंद्र/राज्य के नक़्शे में पंजीकृत है.

इसी मार्ग का दूसरा हिस्सा राजमार्ग क्रमांक २९४ नागपुर-काटोल-जलालखेड़ा-वरुड राजमार्ग है, यह मार्ग का बायपास तैयार किया गया है. इसलिए इस मार्ग को बायपास दर्शाते हुए काटोल नगरपरिषद ने यह सड़क नगरपरिषद को हस्तांतरित करने संबंधी प्रस्ताव तैयार किया था. जिसका विरोध नगरपरिषद के सदस्य संदीप वंजारी ने किया था.

मोदी फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने डेढ़ माह पूर्व ही काटोल नगरपरिषद प्रशासन पर राज्य सरकार सह जिला प्रशासन को गुमराह करने का आरोप लगाया था. इनका कहना था कि राज्यमार्ग सूची से हटाये गए मार्ग संबंधी टिपण्णी सह कागजात नगरपरिषद अन्तर्गत रहने वालों के मध्य सार्वजानिक करना चाहिए था लेकिन ऐसा न करते हुए नगरपरिषद प्रशासन एक ओर शराब व्यवसायियों को शह दे रहा है तो दूसरी ओर राजमार्गो पर सुको के आदेश के बावजूद शराब दुकानें शुरू रखने की अनुमति भी दी है. अगर समय रहते नगरपरिषद, जिलापरिषद, जिलाधिकारी प्रशासन ने “दूध का दूध व पानी का पानी नहीं किया तो फाउंडेशन के कार्यकर्ता उक्त प्रशासन के खिलाफ जल्द ही न्यायलय की शरण में जायेंगे।

उक्त मामले पर शराब व्यवसाय/विक्रेताओं से सम्बंधित सभी संगठनों के सदस्यों के मध्य तरह-तरह की चर्चाये शुरू है. उनका मानना है कि जिले के जितने भी सड़के “राज्य महामार्ग व राष्ट्रीय महामार्ग की सूची से स्थानीय प्रशासन (ग्राम पंचायत, नगरपरिषद, जिलापरिषद, महानगरपालिका आदि) अपने अधिनस्त सड़कों को ले ले, तभी शराब की दुकानें/बार आदि का व्यवसाय बच पायेगा। इसके लिए सभी एसोसिएशन के सदस्यों से एकजुट होकर सरकार सह स्थानीय प्रशासन पर दबाब बनाने की अपील की गई है.

उल्लेखनीय यह है कि मोदी फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने एक निर्णय पर प्रत्येक वाइन शॉप पर ज्यादा से ज्यादा ५ और प्रत्येक बार में ज्यादा से ज्यादा १० अकुशल कामगारों की रोजी रोटी छीन जाने पर भी चिंता जताई है. अमूमन शराब विक्रेता इन अकुशल कामगारों को हज़ार से २ हज़ार वेतन दिया करते थे, इनमे से वेटर ( शराब परोसने वाले) इनकी वेतन से नहीं बल्कि टिप से घर चला करती थी. वर्षो से यह काम करने वाले दूसरे रोजगारों में कैसे ढल पाएंगे, यह चिंतनीय है.