मुर्तिजापुर (अकोला)। मृग नक्षत्र में बारिश ने दमदार शुरुवात की. बारिश के साथ-साथ तहसील के 90 प्रतिशत किसानों ने खेत में अलग-अलग फसलों की बुआई की. लेकिन एक माह से बारिश ने मुह मोड़ लिया है. इससे जमीन में डाले गए बीज भी पानी के अभाव से सुख गए है. तहसील के कुछ खेतों का निरिक्षण करने पर फसलें झुकी दिखाई दी. किसान दूसरी बार बुआई के लिए लाचार हुआ है. .
मुर्तिजापुर तहसील अंतर्गत आनेवाले हातगांव जामठीबू, जामठीरबु, दहातोडा, रेपाडखेड, माना, कुरुम, कन्हला, हिरपुर, सांजापुर ब्रम्ही, शेलु, हिवरा कोरडे, जांभाखु, जांभाबू, जितापुर, खेडकर, पारद, नवसाल, अनभोरा आदि गावों में जाकर खेत का निरीक्षण किया गया. जहां पानी के अभाव से फसलें झुक गई है. कुछ फसलों को कीड़ें लगे है. अबकी बार नियमित बारिश नही हुई तो किसानों का जीना मुश्किल हो जायेगा. बारिश के मौसम में तेज धुप पड रही है. बारिश से भीगी जमींन भी सूखती दिख रही है. आगामी दो दिनों में अगर बारिश नही होती तो किसानों के सामने दोबारा बुआई के अलावा कोई दूसरा रास्ता नही बचेगा.
तहसील का खारपान पट्टा नाम से प्रचलित जांभाखु, परिसर के किसानों के पास बोरवेल का पानी उपलब्ध है. यहां के किसान फसलों को स्प्रिंकलर की सहायता से पानी देकर जिंदा रखने का प्रयास कर रहे है. लेकिन जिनके पास पानी का स्त्रोत नही है उनकी फसल सुख रही है. किसान चारों ओर से आर्थिक संकट में पड़ चूका है. कर्ज और उधारी लेकर बीज, खाद लिया गया. लेकिन बारिश आने के कुछ आसार नही दिख रहे. बारिश नही होने से खेत के काम भी बंद पड़े है. खेत से ही रोज की उपजिवीका चलाने वाले मजदुरों पर भूखोंमरी की नौबत आई है.
केंद्र और राज्य शासन की ओर से फसल कर्ज का वितरण नही हुआ तो, दोबारा बुआई के समय बीज कहां से लाएंगे? ऐसा प्रश्न किसान वर्ग में उपस्थित हो रहा है. रोज आकाश में बादल दीखते है, लेकिन बारिश नही होती. ऐसे स्थिति में किसानों के पास आत्महत्या का पर्याय बचता है. शासन ने समय पर निर्णय लेकर किसानों का समाधान करना चाहिए. ऐसी किसानों की मांग है.

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