नागपुर: पंजाबराव कृषि विद्यापीठ (पीकेवी) में वर्षों पूर्व दैनिक वेतन पर कार्यरत रहे 131 कर्मचारियों को दो दशकों बाद न्याय की राह मिली है। इन कर्मचारियों ने वर्ष 2000 और 2004 में उच्च न्यायालय में कुल चार रिट याचिकाएं दायर की थीं। उनका आरोप था कि पीकेवी में सेवाएं देने के बावजूद उन्हें उचित वेतन और लाभ नहीं दिए गए।
हाई कोर्ट ने वर्ष 2019 में ही इन कर्मचारियों को भुगतान करने के आदेश दिए थे, किंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसका पालन नहीं किया। इसके चलते याचिकाकर्ताओं ने अदालत में अवमानना याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान पीकेवी की ओर से न्यायालय को आश्वासन दिया गया कि यथासंभव जल्द भुगतान किया जाएगा। इस प्रकार, दो दशक के लंबे संघर्ष के बाद इन श्रमिकों को राहत मिलती दिखाई दे रही है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता भुईभार ने अदालत को बताया कि अंतिम आदेश के समय राज्य सरकार और पीकेवी के अधिवक्ताओं ने 7 मई 2025 तक भुगतान का आश्वासन दिया था, जो अब तक पूर्ण नहीं हुआ। इस पर पीकेवी के वकील ने अगली सुनवाई तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने और संबंधित सभी पात्रों को भुगतान करने का प्रयास किए जाने की जानकारी दी।
1969 से हुई थी नियुक्ति
हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि याचिकाकर्ता पीकेवी के वर्तमान और पूर्व कर्मचारी हैं, जिन्हें 1969 से 1985 के बीच दैनिक वेतन पर नियुक्त किया गया था। पीकेवी की भूमि पर कृषि शिक्षा, अनुसंधान और संबद्ध कार्य किए जाते हैं, जिनसे ये कर्मचारी प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें साप्ताहिक अवकाश का वेतन तो मिलता है, परन्तु अन्य किसी भी प्रकार के लाभ नहीं दिए गए।
समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत लागू
सर्वोच्च न्यायालय की सिविल अपील संख्या 8646 से 8659/1997 में 24 जुलाई 2001 को निर्णय दिया गया था, जिसमें समान कार्य के लिए समान वेतन का सिद्धांत स्वीकार किया गया। याचिकाकर्ताओं ने इसी निर्णय के आधार पर अपने वेतन और लाभों की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने भी माना कि प्रतिवादी पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा किया गया कार्य अन्य दैनिक वेतनभोगियों से भिन्न था। अतः इन्हें सर्वोच्च न्यायालय के उक्त निर्णय का लाभ मिलना चाहिए।
हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2019 से पूर्व देय वित्तीय लाभों की गणना कर भुगतान करने का आदेश दिया था, जिसका अनुपालन नहीं होने के कारण अवमानना याचिका दायर की गई। अब अदालत के समक्ष पीकेवी द्वारा भुगतान का आश्वासन दिए जाने के बाद कर्मचारी राहत की आस लगाए बैठे हैं।