नागपुर: आखिरकार गणेश टेकड़ी मंदिर में 100 सालों से लगे पेड़ को अब नहीं काटा जाएगा. लेकिन कॉलम बनाने के लिए इसकी दो बड़ी डालें काटी जाएंगी. ग्रीन विजिल और शहर के नागरिकों के प्रयासों के बाद दी एडवाइजरी सोसाइटी ऑफ़ श्री गणेश मंदिर समिति की ओर से मंदिर के डिज़ाइन में बदलाव करने पर सहमति दर्शाई गई है. ताकि पेड़ को नुकसान न पहुंचे. पहले पेड़ के फाउंडेशन से सटकर कॉलम बनाए जाने थे. लेकिन अब लगभग 700 एमएम की दूरी से यह कॉलम खड़े किए जाएंगे. अब मंदिर के बदलाव के तहत 21 फीट के 4 कॉलम और 2 बीम रहेंगे. मंदिर के पीछे भी कॉलम बनाए जा रहे हैं. शुक्रवार को ग्रीन विजिल के संस्थापक कौस्तुभ चटर्जी और संस्था सदस्य मंदिर में पहुंचे. इस दौरान मंदिर निर्माण का काम संभाल रहे इंजीनियर दिलीप मसे, एडवाइजरी सोसाइटी ऑफ श्री गणेश मंदिर समिति के सचिव श्रीराम कुलकर्णी और महानगर पालिका के उद्यान अधीक्षक सुधीर माटे मौजूद थे.
इस दौरान इंजीनियर मसे ने कहा कि जहां पर मार्किंग की गई है, वहां से कॉलम बनाए जाएंगे. काम में बदलाव आने की वजह से अब इसका खर्च बढ़ गया है. पहले इसका बजट 2. 09 करोड़ था. जो अब बढ़ेगा. इस दौरान मौजूद उद्यान अधीक्षक सुधीर माटे ने बताया कि पेड़ नहीं काटा जाएगा. लेकिन मंदिर के विकास कार्य के लिए इसकी दो डाले काटने पर सहमति बनी है. उद्यान अधीक्षक ने यह भी कहा की दो डालो के काटने से पेड़ को कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा.
ग्रीन विजिल फाउंडेशन के संस्थापक प्रमुख कौस्तुभ चटर्जी ने पेड़ की दो डालें काटने पर भी नाराज जताई. उन्होंने इस दौरान कहा कि नागपुर के नागरिकों के प्रयास से एक उम्रदराज पेड़ अब नहीं कटा जा रहा है. यह अच्छी बात है. उन्होंने यह भी कहा कि पेड़ को रीप्लांट करने का प्लान मंदिर संस्था और मनपा का था. लेकिन रीप्लांट की शहर में ही क्या हमारे देश में भी कोई उदाहरण नहीं मिलता. अगर पेड़ को अपनी जगह से हटाया गया होता तो पेड़ शत-प्रतिशत जीवित नहीं रह पाता. इस दौरान ग्रीन विजिल संस्था के सभी सदस्यों, मनपा अधिकारी और मंदिर समिति के लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर पेड़ को बचाने का संकल्प लिया.