Published On : Sat, Apr 27th, 2019

धान की अफरातफरीः10 गोदाम सील

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गोंदिया: धान का कटोरा कहे जाने वाले गोंदिया जिले में किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते है। शासन द्वारा खरीफ व रब्बी के मौसम में किसानों से उनकी उपज की खरीदी जिले में 57 धान खरीदी केंद्रों के माध्यम से समर्थन मुल्य आधार पर की जाती है।

जिले की सालेकसा भात गिरणी संस्था तथा कोटजमुरा धान खरीदी केंद्र को शासन द्वारा स्वीकृति दी गई है। सेंटर को चलाने का अधिकार संस्था को है जिसके अध्यक्ष उपराडे है। संस्था की जिम्मेदारी है कि, किसानों से धान खरीदी का पैसा चूंकि शासन देता है इसलिए खरीदा गया धान सरकारी संपत्ति है तथा स्टॉक रजिस्टर अनुसार उतना माल गोदाम में होना चाहिए किन्तु 23 अप्रैल को यह खबर बाहर निकली कि, संस्था के 10 गोदामों से 50 हजार क्विंटल धान की अफरातफरी की गई है तथा जिसका मुल्य लगभग 10 करोड़ है, गोदामों से गायब हुए इस धान की लिखित शिकायत मा.
जिलाधिकारी गोंदिया को मनोज अग्रवाल (रा. फुलचुर गोंदिया) तथा अलताफ शेख (रा. सिविल लाइन गोंदिया) द्वारा दिए जाने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल गोंदिया जिलाधिकारी डॉ. कांदबरी बलकवड़े के निर्देश पर 25 अप्रैल को जिला आपूतिर्र् अधिकारी सवईवार, 6 तहसीलदारों , फूड विभाग अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारियों का काफिला लेकर सालेकसा पहुंचे तथा रात ढ़ाई बजे तक पुलिस की मौजुदगी में चली कार्रवाई के बाद ना सिर्फ 10 गोदाम सील कर दिए गए है, बल्कि अधिकारियों ने इस समूची कार्रवाई का वीडियो चित्रीकरण भी तैयार कर लिया है।

अब अधिकारियों ने संस्था के रिकार्ड, खरीदी बिल, स्टॉक रजिस्टर, किसानों के सात बारा, कृषि उत्पन्न बाजार समिति की टोकन रसीद आदि दस्तावेजों की जांच पड़ताल भी शुरू कर दी है।

10 में से 6 गोदामों का कोई एग्रीमेंट नहीं
नियम अनुसार गोदामों का करारनामा करने लिए बी एन्ड सी (सार्व. लोक निर्माण विभाग) से प्रमाणपत्र लिया जाता है। उसमें गोदाम की संग्रह क्षमता बतायी जाती है कि, कितना क्विंटल इस गोदाम में धान आएगा? उसकी कैपेसिटी निर्धारण पश्‍चात गोदाम का किराया (भाड़ा) पीडब्ल्यूडी द्वारा सरकारी नियमों के अनुरूप निर्धारित किया जाता है। जिले में जितने भी धान खरीदी के गोदाम होते है, उन सभी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी है लेकिन इन सील किए गए 10 गोदामों में से 6 प्राईवेट लोगों के गोदाम है , उनका आपसी करारनामा संस्था के साथ नहीं है, एैसा आरोप पत्र परिषद में मनोज अग्रवाल व अल्ताफ शेख ने लगाते कहा, गोदाम खोलकर स्टॉक की निष्पक्ष जांच की जाए तो कई बड़े खुलासे भी हो सकते है?

पर्चीं कहीं फटती है, माल कहीं तौला जाता है..
पत्र परिषद में आरोप लगाया गया कि, सालेकसा भात गिरणी संस्था और कोटजमुरा धान खरीदी केंद्र के संचालन में शासकीय नियम कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ायी गई है। डीएमओ ऑफिस का जो एग्र्रिमेंट होता है उसके मुताबिक धान कितने में लेंगे? उसका समर्थन मुल्य क्या होगा? खरीदा गया धान कहां रखेंगे? उसकी बैंक सिक्यूरिटी (गारन्टी) क्या होगी? उसके बारे में बकायदा एक एग्रिमेंट होता है। इस प्रकरण में जो प्रारंभिक जानकारियां निकलकर बाहर आ रही है उसके मुताबिक व्यापारियों का धान किसानों के सात बारा पर लिया गया है, जो सरासर नियमबाह्य है।

आमगांव स्थित 2 राइस मिलर्स को सालेकसा एंव कोटजमुरा इन 2 सेंटर का डीओ गैरकानूनी तौर पर दिया गया है। धान खरीदी नियम 40 किलो प्रति बोरा भर्ती है लेकिन किसानों से प्रति बोरा 1 किलो 700 ग्राम धान अधिक तौलकर लिया गया है तथा इस लूट के खेल में शासन द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि (ग्रेडर) की भी संलिप्तता है जिसका काम धान खरीदी केंद्र पर ग्रेडिंग करने का होता है।

सबसे मजे की बात यह है कि, किसान को धान खरीदी की पावती (रसीद) सालेकसा और कोटजमुरा सेंटर से फाड़ कर दी गई तथा उसका माल 41.50 किलो ग्राम के रूप में 2 राइस मिलों में तौला गया है इसमें से एक राइस मिल संस्थाध्यक्ष के जवाई की बतायी जाती है लिहाजा अब जिलाधिकारी से मांग की जा रही है कि, संबधितों के दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ किसानों और शासन से ठगबाजी का मामला दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।

– रवि आर्य