Published On : Sat, Nov 16th, 2019

बाल कल्याण समिति को बर्खास्त करे प्रशासन : मो. शाहिद शरीफ़

Advertisement

नागपुर– भारतीय संविधान अंतर्गत बच्चों के मूलभूत न्याय के लिए सरकार ने अधिनियम बनाया है और उसी के अंतर्गत प्रत्येक ज़िले में बच्चों के विरोध में होने वाले किसी भी प्रकार के अत्याचारों के के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए बाल कल्याण समिति को कार्य करने के लिए न्यायिक दर्जा दिया गया है. लेकिन नागपुर ज़िले की कल्याण समिति अधिनियम का उल्लंघन करते हुए नज़र आ रही है.

राष्ट्रीय बालक आयोग ने आदेश देने के बावजूद भी बच्चों पर हुए अत्याचार उसके संदर्भ में बयान लेने और अत्याचार करने वाले पर आपराधिक मामला दर्ज करने के दिशा निर्देश नियम दिए गए है और साथ ही इस संदर्भ में आयोग ने भी यही कहा है. लेकिन समिति समयानुसार दिन अनुसार उपस्थित कोरम कि आपूर्ति के तहत होती है. जहाँ कभी अध्यक्ष रहते हैं तो कभी सदस्य नहीं रहेते जब सदस्य रहते हैं तो अध्यक्ष नहीं रहते है.नियम में बच्चे को दी गई उत्पीड़न के संदर्भ में बयान लेने का अधिकार समिति के समक्ष है.

Gold Rate
26 dec 2025
Gold 24 KT ₹ 1,37,900/-
Gold 22 KT ₹ 1,28,200/-
Silver/Kg ₹ 2,28,500/-
Platinum ₹ 60,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

लेकिन बच्चों के अधिकारों का हनन समिति स्वयं कर रही है और यह समिति उनके अधिकारों का संरक्षण और उनके अधिकार देने के लिए ही स्थापित की गई.

आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो.शाहिद शरीफ़ के समक्ष राष्ट्रीय बाल हक्क आयोग के अध्यक्ष के मामले सामने रखे गए और उसी के पश्चात महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी को उन्होंने बताया कि बच्चों पर होने वाली उत्पीड़न चिंता का विषय है. आजकल स्कूलों में बच्चों को मानसिक तकलीफ और शारीरिक रूप से उत्पीड़न के कई मामले सामने आ रहे है. ऐसे हालात में बाल कल्याण समिति के सामने विद्यार्थी के बयान दर्ज करवाकर आपराधिक मामला दर्ज करवाया जाए. लेकिन संस्था और व्यक्तिगत पालक की शिकायत पर भी विद्यार्थी के बयान लिए नहीं गये.

नाबालिग बच्चों के धारा क्रमांक 363 के 112 (जनवरी 2018 से मार्च 2019 मामले सामने आए लेकिन 3 मामलों में पॉस्को के तहत कार्रवाई की गई. जैसा कि नाबालिग लड़का लड़की घर से भागे और उन्होंने संबंध भी स्थापित किए लेकिन ऐसे संगीन मामलों में भी समिति ने विनय भंग पॉस्को के तहत मामला दर्ज नहीं करवाया . आपसी समझौता कर दोनों परिवार को घर भेज दिया. जानकारी सीडब्लूसी आरटीआई द्वारा दी गई. इसी प्रकार कुवारी माताओं के बच्चे और समय पर बच्चों का स्वास्थ्य तथा आवंटन में भी भारी खामियां सामने आ रही हैं और समय रहते बच्चे को पंजीयन किये हुए पालकों को नहीं दिया जा रहा है.

संस्थाओं से जब तक के अन्दरूनी तालमेल नहीं होते शिशु आवंटित नहीं किया जाता है. शरीफ ने यह भी बताया की जो शिशुगृह समिति को संतुष्ट करता है उसे ही शासकीय प्रक्रिया में सहयोग किया जाता है.

इसकी शिकायत राष्ट्रीय बाल हक़ आयोग से भी की गई है अधिनियम 2005 का उल्लंघन न हो इसलिए इस समिति को भी तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करे अन्यथा जन याचिका के माध्यम से बालकों को न्याय दिलाएंगे यह कहना है चेयरमैन शाहिद शरीफ़ का.

GET YOUR OWN WEBSITE
FOR ₹9,999
Domain & Hosting FREE for 1 Year
No Hidden Charges
Advertisement
Advertisement