Published On : Sat, Jul 18th, 2020

घटिया अनाज खरीदी मामले पर कागजों पर हुई कार्रवाई

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दोषी मिल मालिक,अधिकारी से मंत्री का समझौता,लाभार्थी गरीब तबका हलाकान

नागपुर: कोविड-19 सह पिछले कुछ माह में राज्य के खाद्यान विभाग के दिग्गज अधिकारियों ने संबंधित विभाग के दोनों मंत्रियों को अंधेरे में रख चावल मिल मालिकों से घटिया चावल खरीद राशन दुकानों के मार्फत लाभार्थियों में वितरित की। जब लाभार्थियों ने पुरजोर विरोध किया तब मंत्री ने जांच का आदेश दिया और कार्रवाई की जगह संबधित आला अधिकारी सुपे का अन्यत्र तबादला और शेष से सांठगांठ कर मामला रफादफा कर ठंडे बस्ते में डाल दिया। पुनः नीचे से लेकर धांधली शुरू हैं।

याद रहे कि राज्य के अन्न व पुरवठा विभाग के मार्फत जून माह में गडचिरोली की राइस मिलों से घटिया दर्जे के चावलों की खरीदी की गई।इस खरीदी प्रकरण में सिर्फ अधिकारी वर्ग शामिल थे,अर्थात दोनों मंत्री को नजरअंदाज किया गया था। इन घटिया चावलों को नागपुर समेत राज्य के अन्य जिलों में राशन दुकानों के मार्फत धड़ल्ले से वितरित किया जाने लगा। जब उसके दर्जे पर लाभार्थियों ने सवाल उठना शुरू किया और मामला मंत्री के कानों तक पहुंचा तो मामले को ठंडा करने के लिए विभाग के जिम्मेदार आला अधिकारी सुपे का तबादला अन्य विभाग में कर जोनल स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों पर जांच बैठा दी गई। जबकि क्योंकि मामला आम गरीब जनता से संबंधित था इसलिए सख्त जांच और दोषी अधिकारियों को प्रथमदर्शी आरोपी के आधार पर निलंबित कर सम्पूर्ण खरीदी प्रक्रिया पर जांच होनी चाहिए थी।

नागपुर जिला अन्न व आपूर्ति विभाग के सूत्रों के अनुसार जांच में इस घोटाले में भंडारा, गोंदिया और गडचिरोली के जिला आपूर्ति अधिकारी की राइस मिल मालिकों से मिलीभगत प्रकाश में आई।खानापूर्ति के लिए मंत्री ने इन दोषियों पर जांच के आदेश दिए। इस आदेश के बाद उक्त दोषियों ने विभागीय अन्न व आपूर्ति अधिकारी आड़े के नेतृत्व में मंत्रियों से समझौता कर उन तक करोड़ों की हिस्सेदारी दी। उक्त जिलों के जिला स्तर के अधिकारियों ने 50-50 तो जोनल अधिकारियों ने 20-20 नगद में भेंट चढ़ाई और जांच कागजों तक सीमित रह गया।

याद रहे कि उक्त विभाग खरीदी वक़्त अन्न की गुणवत्ता जांचने के लिए सक्षम अधिकारी,विभागीय कार्यालय स्तर का प्रतिनिधि अधिकारी और राइस मिल संचालक विशेष रूप से उपस्थित रहते हैं।

विभागीय कार्यालय के सूत्रों की माने तो प्रति टन अन्न खरीदी में गुणवत्ता के अनुसार 5 से 10 हज़ार की धांधली होती ही हैं। इसके बाद उक्त खरीदी का माल जिले के सरकारी गोदामों तक पहुंचाने वाले ट्रांसपोर्टरों की मदद से धांधलियां की जाती हैं। क्योंकि इन्हीं ट्रांसपोर्टरों के द्वारा कालाबाज़ारियों को बेचने हेतु पहुंचाया जाता हैं। कुल खरीदी अन्न की बोरियों में से 20% राशन दुकानों तक पहुंचने से पहले गायब कर दिया जाता। राशन दुकान तक पहुंची अन्न आदि की आधी बोरियां अधिकृत लाभार्थियों में वितरित किया जाता,शेष की कालाबाज़ारी की जाती हैं। इसका खुलासा अप्रैल माह में टिमकी के एक राशन की दुकान से सरकारी राशन का अन्न की कालाबाज़ारी करते स्थानीय नागरिकों ने कल्याणी नामक माफिया को पकड़ा था। इस संबंध में तहसील पुलिस में मामला दर्ज किया गया था। लेकिन राशन विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी सवई ने राशन दुकानदार और जोनल अधिकारी जड़ेकर पर कार्रवाई करने के बजाय कल्याणी के खिलाफ मामला दर्ज करवा कर मामला शांत कर दिया।

उल्लेखनीय यह हैं कि राज्य की अन्न आपूर्ति विभाग में धांधली सतत जारी हैं, मामला सार्वजनिक होते ही जांच की बजाय आला का तबादला और नीचे के अधिकारियों से दोहन किया जाता,इस उठापठक में संबंधित मंत्री भी अछूते नहीं हैं, ऐसा आरोप विभागीय कार्यालय सूत्रों ने दिया हैं। समय रहते उक्त मामलात की सूक्ष्म जांच कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं कि गई तो शहर के जागरूक नागरिक विभाग के खिलाफ न्यायालय की शरण मे जाएंगे।

आड़े की टेढ़ी कार्यशैली
नागपुर विभाग में विगत माह/वर्ष भर्ती हुई थी। इस भर्ती में आड़े ने यवतमाळ और अमरावती के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी थी। इन्हीं के द्वारा विभाग से होने वाली लाभ का मार्ग प्रसस्त करने के लिए भेजा जाता क्योंकि तैनात सभी आड़े के करीबी व भरोसेमंद कर्मी हैं।

ऊपरी आय 2 लाख मासिक से अधिक
नागपुर जिले में हज़ारों में राशन दुकानें हैं।प्रत्येक जोन में 500 से अधिक दुकानें हैं इनके जोनल अधिकारियों का मासिक ऊपरी आमदनी 2 लाख से अधिक होने की जानकारी एक जोनल अधिकारी ने ही नाम न बताने के शर्त पर बताया।