Published On : Tue, May 28th, 2019

आचार्यश्री गुप्तिनंदी का आचार्य पदारोहन दिवस

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नागपुर: प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदी गुरुदेव का 18 वां आचार्य पदारोहन दिवस धर्मतीर्थ मे मनाया गया. नागपुर से पहुंचे श्रावक श्रवण आगरकर, बाहुबली जैन, श्रेणिक जैन, श्रुति जैन ने जिनेन्द्र भगवान पंचामृत अभिषेक किया. उसके बाद गुरुदेव का पूजन, विधान हुआ.

इस अवसर पर आर्यिका आस्थाश्री माताजी, क्षुल्लक धर्मगुप्त, क्षुल्लक श्रवणगुप्त, क्षुल्लक विनयगुप्त, क्षुल्लिका धन्यश्री माता, क्षुल्लिका तीर्थश्री माताजी, ब्र. केशरबाई प्रमुखता से उपस्थित थे. गुप्तिनंदी गुरुदेव ने अठ्ठारह वर्ष की आयु मे आचार्यश्री कुंथुसागर गुरुदेव से 22 जुलाई 1991 को मुनि पद को रोहतक (हरियाणा) मे धारण किया. गुरुदेव ने अनेक जैन साहित्यों की रचना की है. 27 मई 2001 को आचार्यश्री कुंथुसागर गुरुदेव ने योग्यता देख गुरुदेव को आचार्य पद दिया. गुरुदेव ने अनेक लोगों को ब्रह्मचर्य व्रत देकर उनका जीवन धन्य किया. गुरुदेव ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र के अनेक शहरों मे चातुर्मास कर धर्म का प्रचार किया.

इस अवसरपर श्री. पार्श्वप्रभु दिगंबर सैतवाल जैन मंदिर संस्था के अध्यक्ष दिलीप शिवणकर ने कहा गुरुदेव का नागपुर का चातुर्मास ऐतिहासिक रहा. चातुर्मास मे श्रावक-श्राविकाओं ने भगवान का अभिषेक कैसे करना इसकी शिक्षा गुरुदेव से पाई. तीर्थंकरों के कथा के माध्यम से तीर्थंकरों का चरित्र जन-जन तक पहुचाया. चातुर्मास समिति के संयोजक रहे नितिन नखाते ने कहा गुरुदेव के चरण रज पाकर हर कोई खुश होता है. उनके आशीर्वाद रूपी वात्सल्य ने सभी के जीवन मे क्रांति आई है. पूरे देश में गुरुदेव के भक्तो की टीम है. हर कोई गुरुदेव का आशीष पाने आतुर रहता है. गुरुदेव ने सभी को दिल से जोड रखा है. नागपुर चातुर्मास भव्य दिव्य यादगार हुआ उस पल का मैं साक्षीदार हूं. पुलक मंच परिवार के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री मनोज बंड ने कहा गुप्तिनंदी गुरुदेव ने चातुर्मास मे नागपुर समाज पर वात्सल्य भाव रखा. साधू जीवन की साधना मे निरंतर धर्म का प्रचार कर रहे है. पूजन विधानों के माध्यम से श्रावकों को भक्ति के मार्ग मे लगाया. राजेश जैन केबल ने कहा गुरुदेव के वाणी में मिठास है, हमेशा प्रफुल्लित, हसमुख रहते हैं. श्रावकों की शंका का आगमोक्त मार्गदर्शन करते हैं. बच्चे और युवाओं को धर्म की ओर आकर्षित करते हैं. विलास आग्रेकर ने कहा गुप्तिनंदी गुरुदेव आगम के सूक्ष्म ज्ञानी हैं. शिविरों के माध्यम से बच्चों को धर्म का ज्ञान देते हुए उन्हे जगाते हैं. सभी के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. नागपुर चातुर्मास मे गुरुदेव ने धर्म की क्रांति लाई. उनके अनेक शिष्य भी देश भर में कई जगह जाकर धर्म के प्रचार मेँ लगे हुए हैं.