Published On : Thu, Jan 11th, 2018

सामने ताला, पीछे हवाला

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नागपुर: मनपा प्रशासन न शिक्षा का स्तर सुधारने में रूचि दिखा रही है और न ही बंद होते जा रहे स्कूल परिसर का संरक्षण कर पा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मनपा का इस तरफ ध्यान क्यों नहीं है? इस चक्कर में नियमित घोषणा की जा रही महत्वपूर्ण प्रकल्पों के लिए प्रस्तावित जगह नए-नए विवादों में उलझती जा रही है. ऐसा ही कुछ हाल मनपा की बंद पड़ी मोहन नगर हिंदी प्राथमिक शाला सामने से बंद पड़ी है, लेकिन पिछले हिस्से में गुलछर्रे उड़ाने का अड्डा बन गया है.

उक्त स्कूल भी मनपा द्वारा संचालित थी, नाना प्रकार के कारण बताकर बंद करवा दिया गया. आज की सूरत में बाहर से निरिक्षण करने पर शाला प्रवेश द्वार पर ताला जड़ा हुआ नज़र आएगा। शाला परिसर में सामने कई व्यवसायियों के स्थाई दुकान शुरू हो चुके हैं. सड़क किनारे शाला के अंतिम छोर पर पतली सी गली है, जहां से शाला की मुख्य इमारत के पीछे जाने का मार्ग बनाया गया है. पीछे पहुंचने पर विशालकाय परिसर दिखा, २ छोटे-छोटे निर्माणकार्य भी दिखाई दिए. मुख्य इमारत के पिछले हिस्से को नशा आदि के लिए स्थानीय युवक इस्तेमाल करते हैं, कुछ युवक निरिक्षण के दौरान दिखे भी.

इसी परिसर में कचरों, कबाड़ का ढेर परिसर की सौंदर्य बढ़ा रहा था. ठीक इसके पीछे के आखिरी इमारत पर स्थानीय एक समूह का कब्ज़ा है, वह अंदर में म्यूजिकल जिम का संचालन कर रहा. इमारत के बाहर मनपा के पूर्व नगरसेवक ने ग्रीन जिम लगाया था.

उल्लेखनीय यह है कि उक्त घटनाक्रम से मनपा प्रशासन, शिक्षण विभाग, सम्बंधित जोन और स्थानीय नगरसेवक वाकिफ होने के बाद भी मनपा सम्पत्ति की सुरक्षा और दुरुपयोग रोकने के लिए कोई पहल न होना निंदनीय है. हाल ही में उक्त परिसर की जानकारी मिलने पर एक पदाधिकारियों ने निरिक्षण किया, अफ़सोस जताते हुए इतना ही कहा कि ‘अपने ही ओठ व अपने ही दांत’ होने से मजबूर हैं. कम से कम मनपा ने आर्थिक तंगी के दौर में इस अमूल्य जगह के आय की दृष्टि से व्यावसायिक उपयोग के लिए दी होती तो परिसर भी चकाचक और मनपा को भी लाभ हुआ होता. क्योंकि वे मनपा में नए-नए हैं इसलिए मनपा प्रशासन उनके निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले इसलिए पशोपेश में वे चुप रहना ही उचित समझ रहे हैं.