Published On : Tue, Nov 28th, 2017

न्यायमूर्ति लोया के संदिग्ध मौत की उच्चस्तरीय जाँच की आम आदमी पार्टी ने की मांग

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नागपुर: सी.बी.आय. मुंबई के भूतपूर्व न्यायाधीश बृजगोपाल लोया की संदेहास्पद मौत की उच्चस्तरीय जाँच कराये जाने की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी नागपुर इकाई के कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधि मंडल ने आज दि. २८/११/२०१७ को अप्पर जिलाधिकारी नागपुर को ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधि मंडल में भाई जम्मू आनंद, चंद्रशेखर पराड, करण शाहू, आरिफ दोसानी,अनिल शर्मा, राहुल वासमवार, अमिताभ दाराल, किरण ठाकरे, वनिता मेश्राम, मनोज सोनी, यशवंत मेश्राम, महेंद्र मिश्रा, रविकांत वाघ, अधि. अरविन्द वाघमारे, अधि. शैलेश जैसवाल, उमाकांत बंसोड, धीरज अढाऊ, राजेश डाखोले, प्रमुखता से उपस्थित थे.

हाल ही में करावन पत्रिका द्वारा न्यायमूर्ती बृजगोपाल लोया की मृत्यु को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए है, जिसके बाद पुरे देश में काफी रोष का माहौल बना हुआ है. पत्रिका ने पुरे घटनाक्रम पर कुछ ऐसे सवाल खड़े किये है जिससे न्यायमूर्ती श्री. लोया की मृत्यु संदेहस्पद हो गई है. ज्ञात रहे की श्री लोया कि मृत्यु नागपुर में दिनांक १ दिसम्बर’ २०१४ को हुई थी. श्री लोया किसी निजी कार्यक्रम में शामिल होने हेतु अन्य न्यायाधीशों के साथ नागपुर आये हुए थे. नागपुर स्थित रवि भवन में ठहरे हुए थे. करावन पत्रिका में किये गए खुलासे के बाद सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री. ए.पी. शाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है की यह मामला बहुत गंभीर है जिसमे एक न्यायाधीश की मृत्यु पर उनके परिवार वालों ने स्वयं संदेह प्रकट किया है तथा कुछ गंभीर आरोप भी लगायें है. उन्होंने आगे बढकर यह भी कहा की किसी एक व्यक्ति के लिए पूरी न्यायव्यवस्था का इस तरह उपयोग नहीं किया जा सकता है. न्यायधीश लोया जिस सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ केस की सुनवाही कर रहे थे उसमे भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री. अमित शाह मुख्य अभियुक्त थे.

परिवार ने यहां तक आरोप लगाया की तत्कालीन मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह द्वारा अमित शाह को बचाने हेतु न्यायाधीश लोया को १०० करोड़ रुपये देने की पेशकश की गयी थी. यह अपने आप में न्यायव्यवस्था की पवित्रता एवं निष्पक्षता बनाये रखने हेतु गंभीर मामला हैं. अतः पुरे प्रकरण की सर्वोच्च न्यायलय या फिर मुंबई उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा संज्ञान लेकर पुरे प्रकरण की जाँच करनी चाहिए और सत्य बाहर आना चाहिए.

करावन पत्रिका ने जो सवाल उठाये हैं उससे श्री. लोया की नैसर्गिक मृत्यु के बजाय कथितरूप से हत्या की गयी ऐसा प्रतीत होता है. अत: जनतंत्र में न्यायप्रक्रिया पर करोड़ों भारतवासियों का विश्वास बना रहें इसलिए इस पूरी घटना की उच्चस्तरीय जाँच अनिवार्य है. चूँकि घटना नागपुर में हुयी हैं इसीलिए स्थानीय प्रशासन की यह नैतिक जिम्मेदारी है की वह घटना के सत्यता के तह में पहुंचने हेतु निर्णायक भूमिका निभाएं.

न्यायाधीश लोया की मृत्यु की जाँच सर्वोच्च न्यायलय या फिर मुंबई उच्छ न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा संज्ञान लेकर पुरे प्रकरण की जाँच करें.