Published On : Mon, Oct 20th, 2014

अचलपुर में डेंग्यु का बढ़ता आतंक

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नप की लापरवाही, स्वास्थ विभाग कुंभकरण निंद में

अचलपुर (अमरावती)। अचलपुर में कई दिनों से बिमारियों का सिलसिला जारी है. बुखार,वायरल फिवर, टायफाईड मलेरिया, गैस्ट्रो, जॉन्डिस जैसे कई बिमारिया अचलपुर में फैली हुयी थी. अचलपुर के उपजिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ ही अपनी कहानी बयां करती है. पिछले दो तीन माह पहले उपजिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मो.जाकीर ने नगर परिषद के स्वास्थ विभाग को इस विषय में जानकारी दी थी. लेकिन प्रशासन ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया था. इसका नतीजा आज दिख रहा है. इन सभी बिमारियों ने शहर हिलाकर रख दिया है.

हालही में अचलपुर परतवाडा के कई अस्पतालों में डेंग्यु का प्रकोप देखने को मिल रहा है. अचलपुर के अलावा ग्रामीण विभागों में डेंग्यु का प्रकोप पहले से ही चल रहा था अब यह अचलपुर शहर में भी फ़ैल रहा है. इसी की पुष्ठी अचलपुर के लाईफ केयर और डॉ. भंसाली के निजी अस्पतालों में मरीजों से हुयी है. इस पर डॉ. जाकिर ने नप के स्वास्थ विभाग को तुरंत सुचना दी है. शहर के कासद्पुरा में डेंग्यु के दो मरीज पाये गए है. इसे लेकर उपजिला अस्पताल के अधिक्षक डॉ. मो. जाकिर ने स्वास्थ विभाग को तुरंत ही जांच के आदेश देकर लोगों में जागरूता देने के आदेश दिए है. साथ ही नप तहसीलदार को भी पत्र लिखा. नप इस पर गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है. अभी तक कोई भी कार्रवाई देखने को नहीं मिली. अचलपुर के नागरिक में डर का वातावरण निर्माण हो रहा है. चारों ओर फैली गंदगी से और स्वास्थ विभाग नप की लापरवाही से डेंग्यु के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.

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उपजिला अस्पताल के अधिक्षक के अनुसार डेंग्यु होने के कारण
डेंग्यु का मच्छर साफ पानी में पैदा होता है. जहां पर कुलरों में कई दिनों से पानी को बदला नहीं गया हो, टायरों में रुका हुआ पानी, पुराने शौचालय में, पानी के रखे गए टाकियो में कई दिनों का पानी, या कोई ऐसा स्थान जहां पानी जमा रहने से भी वहां मच्छर पैदा होते है. पिने के लिए पानी की साफ टंकी या रंजन आदि को रोज साफ करके भरे, रंजन आदि को बहार से भी साफ रखा जाए. कही रुका हुआ पानी हो तो खाली करके साफ रखे.

डेंग्यु में पहले आम बुखार रहता है. मरीज के रक्त में सफ़ेद सेल की कमी आती है जिसे डब्लु. बि.सी कहते है. तुरंत इलाज ना होने के कारण मरीज को रक्त का रिसाव होने जैसे पेशाब से खून बहना, दांतो से खून निकालना या फिर कहीं से खून के रिसाव से मरीज परेशानी में आसकता है. डब्लु.बी.सी. खून में पिलेलेटस कम होने से इस बढ़ाने पड़ते है. खून की कमी या पिलेलेटस और डब्लु.बी.सी. मरीज के खून में चढ़ाना पड़ सकता है. मरीज को सलाह- हाडरेशन होना चाहिए, फल फ्रूट खाना चाहिए, साफ सफाई का ध्यान रखे. नप को पानी की सफाई के लिए कई अहम बाते दी गयी परंतु अभी तक कोई भी उपाय योजना नहीं की गई.
नप की जल पूर्ति ही अस्वच्छ- नप प्रशासन गंदगी को साफ करने में लगा है. कचरा उठाने का ठेका दिया परंतु ठेकेदार पर ही कोई नियंत्रण नहीं है, वार्ड जमादार अपनी सेवाएं कामचलाऊ करते ही देखे जाते है. बरसों से नालियों में जमी गंदगी, वहीं रुका हुआ पानी यह नप की पोल खोलता हुआ नजारा दिखता है.

अचलपुर नगर परिषद हर वर्ष स्वच्छता और सफाई के लिए शासन से पुरस्कार लेने में अव्वल रहा परंतु आज यह सभी पुरस्कार झुठे से लगने लगे है. नप का स्वास्थ विभाग गंदगी से भरा पड़ा है. अचलपुर शहर के प्रत्येक वार्ड में जाए तो वहाँ सभी ओर गंदगी ही गंदगी पसरी पड़ी है. घरों के सामने पालतु जानवर,भैंसे आदि से घरों की रौनक बनी हुई है. जानवरों का गोबर, चारा-कचरा आदि से गंदगी बढ़ती जा रही है. घरों के सामने के अतिक्रमण ने भी गंदगी को बढावा दिया है. वहीं अचलपुर नगर परिषद प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं रहा. अतिक्रमण बढ़ता गया. रहवासी इलाकों में भैसों के तबेलों पर कोई भी रोक नहीं. नप प्रशासन के अलावा जनप्रतिनिधी भी इसे लेकर चुप्पी साधे हुए रहते है कहीं वोटर नाराज न हो जाए.

गंदगी को साफ करने का ठेका दिया गया परंतु ठेकेदार भी आरंभ में चुस्त था परंतु अब वह भी सुस्त हो गया है. अचलपुर शहर में शुरुवात में 6 ट्रालियों से सफाई करवाई जा रही थी. परंतु अब 4 पर आ गयी है. कचरा उठाने वाला ठेकेदार अमरावती का होने से वह भी अचलपुर पर क्या ध्यान देगा यही चर्चा लोगों में है.
नप इस गंभीर मामले में आज निंद से नहीं जाग सका तो नागरिक किसी भी हद तक गुजर सकते है. कई नागरिको का तो कहना रहा है की वह नप प्रशासन को भी न्यायालय में खिंच सकते है.

Representational Pic

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