Published On : Thu, Oct 9th, 2014

मलकापुर : युवाओं ने दिखाया रोष, तब हुआ पोस्टमार्टम

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6 घंटे से अधिक समय तक पड़ी रही लाश

Gondeमलकापुर (बुलढाणा)। स्थानीय उप जिला रुग्णालय में 6 घंटे से भी अधिक समय तक जब पोस्टमार्टम के लिए आई लाश वैसे ही पड़ी रही तो रिश्तेदारों और अन्य युवाओं का धैर्य जवाब दे गया. आखिर युवाओं के आंदोलित होने के बाद कहीं जाकर प्रतिनियुक्ति पर आए वैद्यकीय अधिकारी ने पुलिस के बंदोबस्त में स्वयं पोस्टमार्टम किया. तब जाकर स्थिति शांत हुई.

पोस्टमार्टम के लिए भिजवाई लाश
हुआ यों कि दसरखेड़ निवासी संदीप बालकृष्ण भोंडे नामक 26 वर्षीय युवक ने कल शाम कोई जहरीली दवा पी ली थी. उसे मलकापुर के डॉ. झंवर के अस्पताल में भरती किया गया था. मगर इलाज के दौरान युवक ने दम तोड़ दिया. डॉ. झंवर ने घटना की जानकारी पुलिस को दी. फिर लाश को पोस्टमार्टम के लिए उपजिला रुग्णालय भिजवा दिया गया.

आराम फरमा रहे थे वैद्यकीय अधिकारी
बस यहीं से लाश की अवमानना शुरू हो गई. एक-दो-तीन नहीं जब 6 घंटे बीत गए और कोई डॉक्टर पोस्टमार्टम करने नहीं आया तो युवक के परिजनों और अन्य लोगों का धैर्य जवाब दे गया. उन्होंने शोर-शराबा शुरू कर दिया. देखते ही देखते हालत बिगड़ने लगी. अपने कमरे में बैठ आराम फरमा रहे वैद्यकीय अधिकारी कमरे से निकलकर सीधे पुलिस स्टेशन पहुंच गए. पुलिस को सारी जानकारी दी और पुलिस के साथ ही अस्पताल लौटे. फिर स्वयं ने लाश का पोस्टमार्टम किया, तब जाकर मामला शांत हुआ.

जिंदे व्यक्ति का क्या ?
सवाल यह है कि जब एक लाश के साथ इस अस्पताल में इतना बुरा व्यवहार हो सकता है तो जिंदे व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार होता होगा. दरअसल अस्पताल में कर्मचारियों के अभाव के चलते यह नौबत अक्सर आती रहती है. इस बीच, जिला परिषद सदस्य सोपानराव साठे को इस घटना की जानकारी मिली तो वे दौड़े-दौड़े अस्पताल पहुंचे और लोगों को शांत करवाया.

जिला शल्य चिकित्सक की असंवेदनशीलता
दसरखेड़ के पत्रकार विजय साठे ने इस संबंध में जिला शल्य चिकित्सक डॉ. गजरे से फोन पर बात की और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी. उन्हें बताया गया कि कर्मचारियों और डॉक्टरों की कमी के कारण ही यह स्थिति आई है. मगर अफसोस, डॉ. गजरे ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.