Published On : Thu, Sep 18th, 2014

मूल : उप जिला रुग्णालय तो है खुद बीमार

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जिला शल्य चिकित्सक, तालुका वैद्यकीय अधिकारी को करना होगा इलाज

Goverment Hopital Mul
मूल (चंद्रपुर)। 
मूल में एक़ उपजिला अस्पताल है, मगर ये अस्पताल अब मरीजों का इलाज करने की बजाय उनके लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. अस्पताल में सारी सुख-सुविधाएं तो हैं, मगर इलाज करने वाले डॉक्टर ही नहीं हैं. जो हैं वे भी अपनी निजी प्रैक्टिस की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं. डॉक्टर यहां आने वाले मरीजों का इलाज करने के बजाय सीधे चंद्रपुर भेजने पर ज्यादा ध्यान देते हैैं. पिछले दिनों एक मरीज का इलाज किए बगैर ही चंद्रपुर भेज दियाा गया, बेचारे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. कौन लेगा इसकी जिम्मेदारी ?

दर्जनों मरीजों के इलाज के लिए केवल दो डॉक्टर
मूल-सावली-पोंभुर्णा तालुका के मरीजों के लिए ये अस्पताल है. अस्पताल में अब केवल दो ही डॉक्टर रह गए हैं. दर्जनों मरीज अस्पताल में भरती हैं, पर इलाज करने वालों का ही अभाव है. डॉ.गेडाम और डॉ. शेट्टी ऐसे में कोई जोखिम उठाने के बजाय मरीजों को सीधे चंद्रपुर भेज देते हैं. पिछले दिनों हलदी निवासी पंढरीनाथ कोठारे एक पेड़ से गिर गए. जख्मी थे. उनका उपचार करने के बजाय उन्हें चंद्रपुर भेज दिया गया. उनकी रास्ते में ही मृत्यु हो गई.

डेंगू के मरीजों की भी उपेक्षा
भेजगांव के सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गांगरेड्डीवार ने बताया कि अस्पताल में भेजगांव-बेंबाल परिसर के करीब 10 डेंगू के मरीज भरती हैं, मगर उनके इलाज की उपेक्षा की जा रही है. उदासीनता बरती जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ. शेट्टी तो मरीजों के रक्त की जांच भी बाहर से करवाने की सलाह देते हैं, जबकि अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध है.

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फटकार लगाई
यह जानकारी जब तालुका के वैद्यकीय अधिकारी डॉ. सुधीर मेश्राम को मिली तो वे दौड़े-दौड़े अस्पताल में आए. कई मरीजों से पूछताछ की. फिर सबकी बैठक ली और ठीक से देखभाल और इलाज करने की सलाह देकर चलते बने. स्थानीय पत्रकारों ने जिला शल्य चिकित्सक को भी फोन पर सारी जानकारी दी. जिला शल्य चिकित्सक सोनवणे ने फोन पर इस अस्पताल के वैद्यकीय अधिकारी डॉ. गेडाम को फटकार लगाई. मगर फिर सब-कुछ वैसा ही चल रहा है. अधिकारियों को इस तरफ ध्यान देकर गरीब मरीजों की समस्याओं को हल करना चाहिए. अगर इलाज निजी दवाखानों में ही कराना है तो इतने बड़े अस्पताल का क्या लाभ ?

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