Published On : Thu, Mar 7th, 2019

स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में और पिछड़ा नागपुर

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देश में 58वें तो वहीं राज्य में 18वें नंबर पर रहा नागपुर

नागपुर: स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में नागपुर शहर देश के सर्वे में 55वे नंबर पर था तो वहीं इस 2019 में शहर दो पायदान पिछड़ते हुए 58 वें नंबर पर पहुंच गया है. राज्य में 43 शहरों में नागपुर 18 नंबर पर है. सर्टिफिकेशन में स्टार रेटिंग और सर्विस लेवल प्रोग्रेस में कम मार्क्स मिलने के कारण शहर इस रेस में पिछड़ गया है.

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पिछले वर्ष नागपुर को 4000 मार्क्स में से 2834. 95 मार्क्स मिले थे और यह सर्वेक्षण 471 शहरों में हुआ था. तो वहीं इस साल कुल 5000 मार्क्स में से 3160. 31 मार्क्स शहर को मिले हैं. यह सर्वेक्षण 425 शहरों में हुआ था. इस बार डायरेक्ट ऑब्ज़र्वेशन में शहर ने 1250 में से 1138 मार्क्स हासिल किए हैं. सिटीजन फीडबैक में 1250 में से 934.7, सर्विस लेवल प्रोग्रेस में 537.61, सर्टिफिकेशन में 550 मार्क्स लिए हैं. स्वच्छ सर्वेक्षण जनवरी में हुआ था. जिसकी रिपोर्ट जारी गई है.

इस बारे में ग्रीन विजिल संस्था के संस्थापक कौस्तुभ चटर्जी ने कहा कि पिछले वर्ष तीन अध्याय थे डायरेक्ट ऑब्ज़र्वेशन, सिटीजन फीडबैक, सर्विस लेवल प्रोग्रेस. इस बार सर्टिफिकेशन ऐड कर दिया गया है. डायरेक्ट ऑब्ज़र्वेशन और सिटीजन फीडबैक में हमें काफी अच्छे मार्क्स मिले हैं. जिसके लिए हम नागपुर के नागरिकों के शुक्रगुजार हैं. लेकिन सर्विस लेवल प्रोग्राम और सर्टिफिकेशन में हमें कम मार्क्स मिले हैं. चटर्जी ने बताया कि सर्विस लेवल प्रोग्रेस में कम मार्क्स मिलने का मुख्य कारण है इसके तहत 30 प्रतिशत मार्क्स सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल पर था. हमारे पास भांडेवाडी में प्रोसेसिंग एवं डिस्पोजल नाममात्र है. इसलिए हमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस में कम मार्क्स मिले. इसके अलावा हमें सर्टिफकेशन में भी कम मार्क्स मिले. हालांकि हमें ओडीएफ में 250 में से 200 मार्क्स मिले. मगर स्टार रेटिंग में हमें 1000 हजार में से केवल 350 मार्क्स ही मिले. स्टार रेटिंग में हमें 2 स्टार मिला है. जबकि 1000 मार्क्स लेने के लिए सेवन स्टार की जरूरत थी.

चटर्जी ने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण में मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर के आने से गति आई है. इससे पहले स्वच्छ सर्वेक्षण में कुछ ख़ास नहीं हो रहा था. नवंबर महीने से स्वच्छ सर्वेक्षण के काम में गति आई. मगर केवल 3 ही महीने बचे थे. अगर जून से लेकर नंवम्बर तक इतनी मेहनत करते तो आज हमारी स्थिति अलग होती. उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगर इसी तरह से काम होगा तो अगले वर्ष शहर की अच्छी स्थिति होगी.

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