Published On : Tue, Nov 20th, 2018

पदाधिकारी नियुक्ति पर जाधव-पराते में भिड़ंत

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विदर्भ में शिवसेना संगठन कमजोर

नागपुर: भाजपा की नीति से परेशान होकर शिवसेना ने आगामी चुनावों में ‘एकला चलो’ का नारा देकर भाजपा को सकते में ला दिया है. तो दूसरी ओर नागपुर में पदाधिकारी नियुक्ति पर प्रकाश जाधव और किशोर पराते में ठन गई है. शुरुआत से ही शिवसेना मुंबई के अलावा कुछ एक जिलों को छोड़ राज्य के शेष हिस्सों में काफी कमजोर है. चुनावी समर में गठबंधन और जोशीले प्रभाव के कारण उल्लेखनीय सफलता हासिल कर लेती है, लेकिन विदर्भ जैसे क्षेत्रों के शिवसैनिकों को सेना का बड़ा पदाधिकारी बनाने में तहरिज नहीं देती.

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पिछले कुछ वर्षों में ३ बार नागपुर जिले के संपर्क प्रमुख बदले गए.पिछले २ संपर्क प्रमुखों ने कुछ ध्यान नहीं दिया. वर्तमान संपर्क प्रमुख के कार्यकाल में छुटपुट पदों पर नियुक्ति जारी है. पिछले वर्ष नागपुर जिला प्रमुख पद पर ग्रामीण की राजनीत में सक्रिय प्रकाश जाधव को शहर का जिम्मा सौंपा गया. इनकी नियुक्ति के बाद से अबतक शहर अध्यक्ष सह शहर कार्यकारिणी नहीं बन पाई.

कुछ दिनों पूर्व जाधव ने पूर्व नागपुर की कार्यकारिणी घोषित की है. इस पदाधिकारियों की सूची पर पूर्व पदाधिकारी किशोर पराते ने आक्षेप लिया था. उनका कहना था कि घोषित की गई कार्यकारिणी के लिए उद्धव ठाकरे ने अनुमति नहीं दी है. अर्थात की गई नियुक्ति अमान्य है. प्रकाश जाधव ने अपनी नियुक्ति के बाद शहर के शिवसैनिकों को गुटों में विभक्त करने का काम किया है. नियुक्त हुए पदाधिकारियों शिवसेना अंदाज में कोई बड़ा जनांदोलन नहीं किया. नतीजा शहर में शिवसेना जागृत नहीं हो पाई और न ही शिवसेना से नए जुड़ पाए. पूर्व नागपुर के लिए जारी बोगस पदाधिकारी की सूची से पूर्व नागपुर के शिवसैनिक अच्छे खासे नराज हो गए हैं.

जल्द ही जाधव के खिलाफ नाराज़ शिवसैनिक मुंबई कूच करेंगे. पराते के साथ अजय दलाल आदि की मांग है कि पुराने कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर कार्यकारिणी का गठन हो. अन्यथा अयोध्या के दौरे के बाद २८ नवम्बर से रेशिमबाग स्थित शिवसेना भवन के सामने अनिश्चितकालीन अनशन करने की चेतावनी दी है.

उल्लेखनीय है कि नागपुर जिले में बतौर शिवसैनिक जाधव सबसे ज्यादा किस्मत के धनी हैं. पक्ष ने सांसद, महामंडल प्रमुख, जिलाध्यक्ष, रामटेक लोकसभा अध्यक्ष, विधानसभा में उम्मीदवारी दी, लेकिन उस प्रमाण में पक्ष को लाभ नहीं हुआ.

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