Published On : Thu, Aug 9th, 2018

ऊंट के मुंह में जीरा,मांगा ७ दिया १ करोड़

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नागपुर – लाचार मनपा प्रशासन के पास मनपा संचलन के लिए निधि का सैकड़ों करोड़ में अभाव के कारण चौतरफा घिर गई हैं। आज से बस ऑपरेटर हड़ताल पर चले जाने से प्रशासन किंचित भी अड़चन महसूस नहीं कर रहा। हड़तालियों से समझौता नहीं होने के बावजूद प्रशासन ने तीनों बस ऑपरेटरों के खाते में १ – १ करोड़ तत्काल ट्रांसफर करवा दिए।

ज्ञात हो कि मनपा प्रशासन पर तीनों लाल बस ऑपरेटरों का लगभग ४५ करोड़ याने प्रत्येक का १५ – १५ करोड़ बकाया हैं।इन्हें अप्रैल माह से अबतक मासिक भुगतान नहीं किया गया। उक्त ठेकेदारों को कुछ माह छोड़ दिए जाए तो किसी भी माह नियमित भुगतान नहीं की गई।

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कल भी जब तीनों बस ऑपरेटरों ने प्रशासन को हड़ताल पर जाने की तिथि सह कारण बताया तो उन्होंने बड़े हल्के में ले लिया,क्यूंकि अबतक लाल बस ऑपरेटर गीदड़ – भपकी देते रहे और प्रशासन ने भी मामूली रकम देकर उपजे विवादों को टालती रही।

आज जब सचमुच हड़ताल पर बस ऑपरेटर चले गए तो प्रशासन नींद से जागा और बस ऑपरेटरों की बैठक बुलाई।बैठक में ऑपरेटरों ने तत्काल ७ – ७ करोड़ रुपए देने और उसके खर्चे का हिसाब बतलाए। प्रशासन ने इतनी राशि देने में असमर्थता दिखाते हुए मामूली रकम याने प्रत्येक को बकाया में से १- १ करोड़ देने की समर्थता दर्शाई।प्रशासन ने इस राशि पर हड़ताल खत्म करने की मांग भी की।लेकिन प्रशासन के मशविरे को हड़तालियों ने सिरे से नकार दिया,कहा जबतक कम से कम ३ – ३ करोड़ नहीं मिलते तबतक हड़ताल जारी रहेगा। इस बीच प्रशासन के निर्देश पर वित्त विभाग ने तीनों बस ऑपरेटरों के खाते में १ – १ करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिया।

जानकारी मिली कि खाते में १ – १ करोड़ दिखते ही संबंधित बैंक वालों ने मासिक लोन किश्त काट लिए,इससे बस ऑपरेटरों फिर सड़क पर आ गए। समाचार लिखे जाने तक प्रशासन ने उक्त राशि के अलावा और राशि नहीं दी। उधर परिवहन विभाग अपने खामियों को छिपाने के लिए आज के हड़ताल को मराठा आरक्षण के कारण परिवहन सेवा बंद करने की कहानी कहते फिर रही।यह भी जानकारी मिली कि मनपा पदाधिकारियों की मांग पर परिवहन व्यवस्थापक नगदी म व्यवहार करते हैं।वे या तो हिसाब किताब में गड़बड़ी कर व्यवहार कर रहे या फिर किसी ठेकेदार पर दबाव डाल पदाधिकारियों की मांग पूर्ति कर रहे।

दो माह पूर्व परिवहन सभापति बंटी कुकड़े ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख परिवहन सेवा को सुचारू ढंग से संचलन के लिए १०० करोड़ रूपए की मांग कर चुके हैं।लेकिन आजतक मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पत्र की गंभीरता से नहीं लिया।

ग्रीन बस के संचालक स्कैनिया ने १२ अगस्त से नागपुर में बस संचालन बंद करने का अल्टिमेटम दे दिया था।उनका मनपा पर ७.५ करोड़ बकाया है,लेकिन उन्हें भी गड़करी के कहने पर बकाया राशि नहीं दी गई।

उल्लेखनीय यह हैं कि गल्ली से लेकर दिल्ली तक भाजपा की सरकार हैं। नागपुर मनपा को कड़की से बाहर निकालने के लिए राज्य और केंद्र सरकार सैकड़ों मद से एडजस्ट कर विशेष अनुदान का पैकेज तैयार कर घंटों में कर सकती है। लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि भाजपा की अंदुरुनी गुटबाजी के कारण नागपुर शहर में विपरीत वातावरण तैयार कर गड़करी को राजनैतिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश जारी है।फिर चाहे धार्मिक स्थल का मामला ही क्यों न हो।

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