Published On : Tue, Jul 17th, 2018

मेडिल पाठ्यक्रमों में ओबीसी को 1.7 प्रतिशत आरक्षण के नियम को हाईकोर्ट में चुनौती

Advertisement

Nagpur Bench of Bombay High Court

Nagpur: संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ओबीसी के लिए भले ही 27 प्रतिशत का आरक्षण रखा गया हो, लेकिन वैद्यकीय पाठ्यक्रम प्रवेश में राज्य के वैद्यकीय शिक्षा विभाग की ओर से ओबीसी के लिए केवल 1.7 प्रतिशत आरक्षण रखे जाने को चुनौती देते हुए अखिल भारतीय ओबीसी महासंघ और ओबीसी छात्रा राधिका राऊत की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे असिसटेंट सालिसिटर जनरल ने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट की ओर से सम्पूर्ण प्रक्रिया पर ही रोक लगा रखी है.

इस संदर्भ में उचित हलफनामा दायर करने के लिए 2 दिन का समय देने की मांग भी की. जिसके बाद न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश झका हक ने तब तक याचिकाकर्ता छात्रों का किसी तरह का नुकसान हो, इसके कदम ना उठाए जाए. साथ ही 19 जुलाई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पी.बी. पाटिल और केंद्र सरकार की ओर से एएसजी औरंगाबादकर ने पैरवी की.

Gold Rate
15 May 2025
Gold 24 KT 92,100/-
Gold 22 KT 85,700/-
Silver/Kg 94,800/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

4064 में से केवल 69 सीटें
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता पाटिल ने बताया कि राज्य सरकार के वैद्यकीय शिक्षा विभाग ने वैद्यकीय पाठ्यक्रम में प्रवेश को लेकर आरक्षण नीति के अनुसार मार्गदर्शक सूचनाएं जारी की है. जिसके अनुसार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना अनिवार्य है. लेकिन एमबीबीएस के प्रवेश के लिए निर्धारित की गई सीटों का आकलन किया जाए, तो राज्य सरकार के वैद्यकीय पाठ्यक्रम में 4064 सीटों में से केवल 1.7 प्रतिशत के अनुसार कुल 69 सीटें ही ओबीसी के हिस्से में आ रही है.

राज्य सरकार की बेतरतीब कार्यप्रणाली के कारण ओबीसी छात्रों का नुकसान हो रहा है. प्रवेश के लिए आनलाइन पद्धति होने के कारण इस संदर्भ में प्रवेश की प्राथमिक प्रक्रिया में ही छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है. हालांकि इस संदर्भ में आपत्ति तो जताई गई, लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं होने से मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.

केंद्रीय कोटे में एक भी सीट नहीं
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. पाटिल ने बताया कि न केवल राज्य में एमबीबीएस के प्रवेश को लेकर ओबीसी छात्रों पर अन्याय किया गया, बल्कि केंद्रीय स्तर के कोटे में तो ओबीसी को एक भी सीट का आरक्षण नहीं दिया गया. संविधान के प्रावधानों के विपरीत की गई वैद्यकीय प्रवेश की पूरी प्रक्रिया ही अवैध घोषित करने, केंद्रीय कोटे के लिए 20 और 21 जून को हुए प्रथम चरण को भी रद्द करने के आदेश देने का अनुरोध अदालत से किया गया.

साथ ही संविधान के प्रावधानों के अनुसार नए सिरे से प्रवेश प्रक्रिया करने के आदेश देने का अनुरोध अदालत से किया गया. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता राधिका ने 6 जून 2018 को हुई नीट की परीक्षा में 473 अंक हासिल किए थे. उसे केंद्रीय कोटे से एमबीबीएस में प्रवेश प्राप्त करना था.

Advertisement
Advertisement
Advertisement