नागपुर: एक तरफ मनपा आर्थिक संकट में है तो दूसरी तरफ असक्षम परिवहन विभाग की वजह से शहर की जीवनरेखा ‘आपली बस’ के यात्री सकते में हैं। अविलंब प्रशासन ने विभाग की गुणवत्ता सुधारने के लिए समीक्षा नहीं की तो वह दिन दूर नहीं जब ‘आपली बस’ जगह पर खड़ी हो जाएंगी।
मनपा आर्थिक अड़चन में होने के कारण परिवहन विभाग कोमा में है। विभाग के कर्मियों और विभाग से संबंधित ठेकेदारों को नियमित मासिक वेतन/भुगतान नहीं होने के कारण उम्मीद के अनुरूप विभाग और ठेकेदार परफॉर्मेंस नहीं दे पा रहे हैं। आज की सूरत में मनपा प्रशासन पर परिवहन विभाग के साथ ठेकेदारों के लगभग 25 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। उक्त आर्थिक अड़चन से निपटने के लिए मनपा प्रशासन को खुश करने के लिए परिवहन विभाग ने डिम्ट्स के कंधों पर बंदूक रख ‘रेड बस ऑपरेटर’ पर भुगतान की तय तिथि के एक दिन पूर्व जुर्माना का पत्र थमा दिया। एक तो समय पर भुगतान नहीं, ऊपर से अकारण जुर्माना यह दर्शा रहा है कि ‘आपली बस’का भविष्य उज्जवल नहीं है। दूसरी ओर खुद के गिरेबान में उंगलियां न उठे इसलिए डिम्ट्स परिवहन विभाग की हां में हां मिलाने को मजबूर है। यह भी साफ है कि परिवहन विभाग की वजह से अपूर्ण प्रकल्प के संचलन पर पूर्ण मासिक भुगतान दिया जा रहा. इसके पूर्व ‘बिजी’ में भी काफी रियायत दी गई। और तो और करार के अनुसार न पूर्ण कर्मी रखने पड़े और न ही करार की सभी शर्तों को ही पूरा करना पड़ रहा है। यह और बात है कि डिम्ट्स के प्रकल्प प्रबंधक ने जानकारी दी कि अगस्त से उनका भुगतान बकाया है।
आज की हालत यह है कि बस चालकों को पिछले माह का वेतन नसीब नहीं और बस ऑपरेटरों को शीघ्र भुगतान नहीं किया गया तो शहर की सवा-डेढ़ लाख यात्रियों की जीवनरेखा थम सकती है। परिवहन सभापति हताश- जब से सभापति का जिम्मा संभाला, तब से न दौरे के लिए ‘परफेक्ट वाहन’ और न ही परिवहन प्रबंधक के साथ डिम्ट्स निर्देशों का पालन करने को तैयार है। माह में एक-दो बार शहर में दिल्ली से डिम्ट्स के परियोजना प्रबंधक अमित हितकरी आते हैं और सभापति को मिलने बुलाते हैं। ऐसा लगता है मनपा में सत्तापक्ष की प्रशासन पर मजबूत पकड़ न होने से ठेकेदार कंपनियां सर चढ़ कर बोल रही हैं। वहीं दूसरी ओर सभापति ने परिवहन प्रबंधक को बुलाया तो अपने मन से आते या फिर बहाना बना देते हैं। लेकिन डिम्ट्स के परियोजना प्रबंधक के नगरागमन पर दौड़ लगाकर मत्था टेकते जरूर नज़र आए। उन्हें अपना रुबाब दिखाने के लिए संविधान के चौथे स्तंभ से बत्तमीजी से पेश आना, यह दर्शा रहा कि मनपा की छूट का कितना लाभ उठाया जा रहा है। ऐसे में वह दिन भी दूर नहीं जब सभापति विभाग से हाथ जोड़ लें।
प्रकल्प अपूर्ण, प्रबंधक दूर
डिम्ट्स का जिम्मा अभी तक अधूरा है। बावजूद इसके माह में 4-5 दिन ही शहर में डिम्ट्स के प्रकल्प प्रबंधक टिकटे हैं, शेष समय दिल्ली में ही रहते। इसलिए डिम्ट्स में तैनात कर्मियों की करतूतों से अनजान हैं। यह और बात है कि मनपा की खामियों के बीच कागजों पर पूर्ण प्रकल्प को पूर्णता दर्शा रहे हैं। शहर में प्रबंधक रहते तो परिवहन विभाग के सुधार के लिए पदाधिकारियों, प्रशासन,संबंधित ठेकेदारों और लाभार्थियों की समय समय पर समीक्षा बैठकें होती और सुधार भी दिखता। आज सभी अपनी जिम्मेदारों को निभाने के बजाय अन्य कानूनी कार्यों को अंजाम देने में मदमस्त हैं।
उल्लेखनीय यह है कि उक्त मामले में राज्य व केंद्र सरकार ने 100-125 करोड़ का सालाना अनुदान नहीं दिया तो ‘आपली बस’ का भविष्य खतरे में नज़र आने लगा है। इसके साथ ही प्रशासन ने राज्य परिवहन विभाग में आयुक्त स्तर के अधिकारी को सफल संचालन की जिम्मेदारी सौंपना चाहिए, शहर की जीवनरेखा को सतत कायम रखने के लिए वर्तमान प्रबंधक असक्षम हैं, इसलिए सक्षमता का परिचय देते हुए प्रशासन को गंभीरता दिखानी चाहिए।