Published On : Thu, Mar 16th, 2017

एम्प्रेस मॉल के अवैध निर्माण पर मनपा क्यों है मेहरबान?

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नागपुर: 
अवैध निर्माण का नाम सुनते ही नाक-भौ सिकोड़ने वाले नागपुर महानगर पालिका के अधिकारी-पदाधिकारी पिछले पांच दिन से जबरन अपने चेहरे पर मुस्कराहट फैलाए घूम रहे हैं, वजह है महानगर पालिका के धंतोली जोन के हद में खड़े बहुमंजिला एम्प्रेस मॉल के अवैध निर्माण को बचाने संबंधी उनकी कोशिशों पर उठते सवालों और आरोपों से पीछा छुड़ाना. हालाँकि कई तरह के दबाव के बाद मनपा प्रशासन ने पांच दिन पहले एम्प्रेस मॉल की निर्माता कंपनी मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड को अवैध निर्माण के लिए नोटिस तो जारी कर दिया, लेकिन सप्ताह बीतने आया पर कार्रवाई के नाम बस टालमटोल जारी है.

मनपा प्रशासन ने यह नोटिस भी अपनी मर्जी से नहीं दिया है मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड को. दरअसल चंदू लाडे और राकेश नायडू नामक जागरुक नागरिकों ने जनहित याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने जब मनपा प्रशासन से सवाल पूछा तो झट से नोटिस जारी करने की जहमत उठा ली गयी. लेकिन नोटिस पर आगे कोई कार्रवाई न हुई, न हो रही है.

ताजा नोटिस के अनुसार एम्प्रेस मॉल के निर्माता कंपनी मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 13 हजार से लेकर 14 हजार वर्ग मीटर तक अवैध निर्माण कर लिया है. मनपा के धंतोली जोन के सहायक आयुक्त जनहित याचिका की टोचन मिलने के बाद कह रहे हैं, “इन लोगों से 13 से 14 हजार वर्ग मीटर का अवैध निर्माण किया ही है और इमारत की बेसमेंट पार्किंग को गोडाउन में तब्दील कर दिया है.”

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एक सौ ग्यारह करोड़ रूपए से ज्यादा का बकाया कब वसूलेगी मनपा

जनहित याचिका के जरिए लाडे और नायडू ने मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर एक सौ ग्यारह करोड़ रूपए से ज्यादा के बकाये की ओर भी न्यायालय का ध्यान खींचने में कामयाबी हासिल की है. मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर वैट कर के रुप में 52 करोड़, 55 लाख, 82 हजार और 573 रूपए बकाया हैं. जलकर के रुप में 28 करोड़ रूपए, संपत्ति कर के रुप में 14 करोड़, 59 लाख, 69 हजार और 291 रूपए बकाया हैं. मनोरंजन कर के रुप में 18 लाख रूपए तथा बिजली बिल के रुप में 16 करोड़ रूपए का बकाया है. कुल मिलाकर एक सौ ग्यारह करोड़, 33 लाख, 51 हजार और 864 रूपए बकाया है. सवाल यही है कि मनपा आखिर इतनी बड़ी रकम क्यों नहीं वसूल रही है एम्प्रेस मॉल के निर्माताओं से?

अवैध निर्माण कितना और क्या है?

जनहित याचिका के अनुसार नागपुर विकास नियंत्रण नियम 2000 के अनुसार प्रत्येक 100 वर्ग मीटर के व्यावसायिक निर्माण पर 36.6 वर्ग मीटर की जगह पार्किंग के लिए अनिवार्यतः छोड़नी होती है. एम्प्रेस मॉल का कारपेट क्षेत्र 26 हजार 288.784 वर्ग मीटर का है. नियम के हिसाब से 9 हजार 621.694 वर्ग मीटर का क्षेत्र पार्किंग के लिए होना ही होना चाहिए था. इस मॉल में पांच स्क्रीन के सिनेमा हॉल भी हैं. सिनेमा हॉल के मान से 10 हजार 316.902 वर्ग मीटर की पार्किंग होनी चाहिए. मतलब कि कुल मिलाकर 19 हजार 938.596 वर्ग मीटर की पार्किंग अनिवार्यतः होनी चाहिए, लेकिन मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सकल एम्प्रेस मॉल के लिए महज 4 हजार 639.197 वर्ग मीटर की ही पार्किंग की जगह छोड़ी है. इसका मतलब है कि लगभग 14 हजार से ज्यादा वर्ग मीटर पर अवैध निर्माण किया गया है.

ये अनियमितताएं भी हैं!

मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एम्प्रेस मॉल के लिए जो नक्शा नागपुर महानगर पालिका प्रशासन से पास कराया था, उसके हिसाब से मॉल के चौथे तल पर दुपहिया वाहनों के लिए पार्किंग बनाया जाना था, लेकिन मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने चौथे मंजिल की पार्किंग भी हज़म कर ली.

नागपुर महानगर पालिका की ओर से 9 मार्च 2017 को मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड को एमआरटीपी अधिनियम के तहत अवैध एवं गैर-कानूनी निर्माण के लिए नोटिस जारी कर चौबीस घंटे के भीतर सभी अवैध निर्माणों को ढहाने और नए सिरे से मिर्माण की अनुमति लेने का निर्देश दिया था, लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी आखिर मनपा प्रशासन क्यों मेसर्स केएसएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एम्प्रेस मॉल पर मेहरबानी बनाए हुए है? इसका सही जवाब मनपा प्रशासन के अधिकारियों और मनपा की सत्ता पर विराजमान पदाधिकारियों को ही मालूम है!

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