गोंदिया। रेलवे ट्रैक पर दौड़ रही इंटरसिटी एक्सप्रेस का एक डिब्बा अचानक “सोने की खान” बन गया!
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की आरपीएफ टीम की पैनी नजर ने एक ऐसी साजिश का पर्दाफाश किया, जिससे गोंदिया से लेकर बिलासपुर तक हड़कंप मच गया।
बिलासपुर से नागपुर की ओर जा रही इस ट्रेन के स्लीपर कोच S-6 में जवान नियमित गश्त कर रहे थे आमगांव और गोंदिया के बीच उनकी नजर एक संदिग्ध यात्री पर पड़ी — बेचैनी, बार-बार इधर-उधर नजर दौड़ाना और बैग पर कसकर पकड़ इससे शक गहराया तो जवानों ने संदेह के आधार पर सामान की जांच शुरू की।
ना बिल, ना लाइसेंस, ना कोई प्रमाण , तस्करी का रेल रूट बेनकाब
ट्रेन में गश्त कर रहे सुरक्षा बल जवानों द्वारा जैसे ही बैग खोला गया, पुलिस की आंखें चमक से चौंधिया गईं!
अंदर से निकले सोने की चैनें, ब्रेसलेट , सिक्के , गोल्ड बिस्किट , गहनों के सेट और साथ में 7.5 किलो चांदी इस तरह कुल मिलाकर 03 करोड़ 27 लाख का ‘स्वर्ण जखीरा’ दिखाई दिया।
पूछताछ में आरोपी ने खुद का नाम नरेश पंजवानी बताया और गोंदिया के सराफा बाजार में सोना आपूर्ति का काम करता है लेकिन जब पुलिस ने कागजात मांगे तो जवाब गोलमोल थे।
ना बिल, ना लाइसेंस, ना कोई प्रमाण… बस चमक-दमक के बेशकीमती आभूषण।
आरपीएफ ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए , प्रकरण डीआरआई (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) को सौंप दिया है।
अब जांच की जा रही है कि यह माल कहाँ से आया, कहाँ जाने वाला था और इसके पीछे कौन-सा नेटवर्क सक्रिय है।
ट्रेन से नहीं चलेगा अब गोल्ड का खेल
सूत्रों के मुताबिक, यह कोई पहला मामला नहीं है- ट्रेन के रास्ते से सोने की हेराफेरी का रैकेट लंबे समय से सक्रिय है ,
आरपीएफ की सतर्कता से एक और बड़ा गिरोह बेनकाब होने की कगार पर है।
गोल्ड तस्करी के इस खेल ने
गोंदिया स्टेशन से लेकर सराफा बाजार तक में खलबली मचा दी है।
आरपीएफ की इस कामयाबी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कानून के हाथ लंबे हैं, और अब ट्रेन के जरिए गोल्ड तस्करी के चमक का खेल नहीं चलेगा ।
रवि आर्य