गोंदिया। सिंधी समाज के आराध्य देव, वरुणावतार भगवान झूलेलाल जी का पावन चालीसा महोत्सव गोंदिया में इस वर्ष भी अपार श्रद्धा, उत्साह और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि समाज की एकता, संस्कृति और सेवाभाव का भी अद्भुत उदाहरण पेश करता दिखाई दिया।
40 दिन अखंड भक्ति का प्रवाह , श्रद्धालु हुए भाव विभोर
लगातार 40 दिनों तक प्राचीन झूलेलाल मंदिर ( सिंधी कॉलोनी ) और भगवान झूलेलाल धाम, ( माताटोली ) में प्रभु की अखंड भक्ति गूंजती रही , प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा-अर्चना, आरती, भजन-कीर्तन और पल्लव दर्शन का आयोजन हुआ।
मंदिर प्रांगण “आयोलाल… झुलेलाल ” के गगनभेदी नारों से गूंजता रहा।
श्रद्धालुओं ने प्रभु के चरणों में नतमस्तक होकर विश्व शांति, मानव कल्याण और सुख-समृद्धि की कामनाएँ कीं।
धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का संगम
यह महोत्सव केवल पूजा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भजन संध्याओं, आरती उत्सवों, प्रवचनों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से एक धार्मिक-सांस्कृतिक महाकुंभ में बदल गया।
बच्चों की प्रस्तुतियों से लेकर बुजुर्गों की भक्ति में डूबी भागीदारी तक, हर वर्ग के लोगों ने इस महोत्सव को जीवंत और अद्वितीय बना दिया।
छप्पन भोग से प्रभु झूलेलाल जी का अलौकिक श्रृंगार
रविवार 24 अगस्त को महोत्सव का सबसे विशेष आयोजन हुआ जब भगवान झूलेलाल जी को छप्पन भोग अर्पित किए गए
इसमें कड़वे, तीखे, कसैले, खट्टे, नमकीन और मीठे स्वादों से युक्त 56 प्रकार के व्यंजन शामिल रहे।
श्रद्धालु अपने घर से प्रेम और भक्ति के साथ पकवान तैयार कर मंदिर पहुंचे और अर्पित किए।
परंपरा अनुसार यह भोजन पहले प्रभु को चढ़ाया गया, तत्पश्चात महा आरती के उपरांत इसे महाप्रसादी के रूप में हजारों भक्तों में वितरित किया गया।
” छप्पन भोग” की यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और इसे समर्पण व अखंड श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है
बहराणा साहिब की अखंड ज्योति का जल विसर्जन
सोमवार 25 अगस्त महोत्सव के समापन अवसर पर श्री झूलेलाल चालीसा का 108 बार अखंड पाठ, हवन-पूजन, अखंड धूनी साहब, भजन संध्या और महाआरती का आयोजन हुआ।भक्तों की भीड़ उमड़ी और मंदिर परिसर भक्ति से सराबोर हो गया।
शाम 4 बजे प्राचीन झूलेलाल मंदिर ( झूलेलाल मार्ग, सिंधी कॉलोनी ) तथा माताटोली स्थित भगवान झूलेलाल धाम से निकली भव्य कलश यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।नगर भ्रमण करते हुए यह यात्रा शिवधाम तालाब, फुलचूर पहुँची यहाँ परंपरा के अनुसार पूजा अरदास पल्लव पश्चात बहराणा साहिब जी की अखंड ज्योति को जल प्रवाहित किया गया। बता दें कि यह अनुष्ठान श्रद्धालुओं के लिए आस्था, शुद्धता और समर्पण का सर्वोच्च प्रतीक माना जाता है।पूरे महोत्सव का सफल आयोजन बाबा गुरमुख दास सेवा समिति गोंदिया और प्राचीन झूलेलाल मंदिर समिति के सेवादारों ने तन- मन- धन से योगदान दिया । लंगर सेवा , भक्तों की सुविधा और संपूर्ण प्रबंधन में सेवा भाव की मिसाल पेश की गई जिसने झूलेलाल चालीसा महोत्सव को अविस्मरणीय उत्सव बना दिया।इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने कहा- सेवा , समर्पण ,संस्कृति और परंपरा हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती है।
रवि आर्य