गोंदिया : गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव में धान खरीदी का हाल बेहाल है , खरीदी शुरू हुए दूसरा हफ्ता भी पूरा नहीं हुआ और कई केंद्रों की व्यवस्था हांफने लगी है। सर्वर डाउन, जगह की कमी, उठाव में देरी और लिमिट खत्म होने के बहाने बनाते हुए खरीदी बंद कर दी गई है नतीजतन किसानों की जेब खाली है और घरों में धान पड़ा है और ऐसे में अब धैर्य की आखिरी डोर टूटने लगी है।
राज्य सरकार की खरीदी नीति में है खामियां
अनेक धान खरीदी केंद्र बंद होने से किसानों का आरोप है कि- राज्य सरकार की खरीदी नीति खामियों से भरी है।
पहले सर्वर डाउन से लौटना पड़ा, अब कहा जा रहा है कि खरीदी केंद्र में धान रखने की जगह नहीं और तय लक्ष्य ( लिमिट ) खत्म हो गई है । सरकार इससे अधिक धान नहीं खरीद सकती क्योंकि उस पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है ? बता दें कि अर्जुनी मोरगांव तहसील के दर्जनभर गांवों में करीब 10000 क्विंटल धान खरीदी अभी बाकी है।
किसानों ने दिया सरकार को 8 दोनों का अल्टीमेटम
किसानों का कहना है कि -हमने उधार लेकर खरीफ फसल बोवनी ( रोपाई) की, अब साहूकार घर तक आ रहे हैं पैसे मांगने।
धान का वजन करके टोकन ( कच्ची रसीद ) दिया, पर लिमिट खत्म कहकर पक्की स्लिप रोक दी ये किसानों के साथ सरासर धोखा है।
गुस्साए किसानों का कहना है-अब सरकार के पास 2 विकल्प है पहला या तो समर्थन मूल्य पर खरीदी की गारंटी निभाए, या फिर धान के सैलाब और किसानों के गुस्से के लिए तैयार रहे। किसानों ने साफ तौर पर शासन प्रशासन को 8 दिनों की अल्टीमेट देते हुए कहा है कि- अगर उन्हें धान खरीदी की पक्की स्लिप नहीं मिली तो वह अपना धान सड़कों पर फेंक कर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
रवि आर्य