नागपुर: शहर में तेजी से बढ़ रहे रूफटॉप रेस्टोरेंट्स अब सिर्फ ट्रेंड नहीं, बल्कि एक गंभीर चिंता का विषय बनते जा रहे हैं — खासकर जब ये शांत रिहायशी इलाकों में खुल रहे हों। शिवाजी नगर जैसे इलाके जहां पहले शांति थी, अब देर रात तक चलने वाले रेस्टोरेंट्स के कारण शोर, ट्रैफिक और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। अब देवनगर जैसे इलाके में भी नया रूफटॉप खुल चुका है, जिसने रहवासियों की चिंता और बढ़ा दी है।
शहर में 28 ऐसे अवैध रूफटॉप रेस्टोरेंट चिन्हित किए गए हैं, जो फायर सेफ्टी और भवन मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं। जुलाई 2024 में नगर निगम की फायर डिपार्टमेंट ने पहली रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद अक्टूबर 2024 में आयुक्त अभिजीत चौधरी ने छह जोनों को कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
इन क्षेत्रों में रामदासपेठ, छावनी, अमरावती रोड, धरमपेठ और कॉटन मार्केट शामिल हैं। पर न तो किसी रेस्टोरेंट को सील किया गया, न कोई ढांचा गिराया गया और न ही किसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई।
प्रश्न जो अब हर नागपुरवासी पूछ रहा है:
- इन रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को रिहायशी इलाकों में अनुमति कैसे मिल रही है?
- क्या फायर एनओसी और टाउन प्लानिंग परमिशन की प्रक्रिया पारदर्शी है?
- नगर निगम ने कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि लिखित आदेश मौजूद हैं?
- क्या राजनैतिक दबाव या व्यावसायिक हित इसमें बाधा बन रहे हैं?
फायर डिपार्टमेंट ने पाया कि 28 रेस्टोरेंट्स में बुनियादी फायर सेफ्टी उपकरण नहीं हैं। 12 संरचनात्मक रूप से असुरक्षित हैं, 9 को खाली करने के नोटिस दिए गए, और 5 मामलों में पुलिस सहायता मांगी गई — जो नहीं मिली। केवल दो मामलों में ही कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
स्थानीय लोग बोले – “शांति छीन ली”
देवनगर के एक निवासी ने कहा, “हमने यह इलाका इसलिए चुना था क्योंकि यह शांत था। अब हर रात ऐसा लगता है जैसे किसी बाजार के बीच में रह रहे हैं। आखिर इन्हें चलाने की अनुमति कौन देता है?”
शहर में रूफटॉप डाइनिंग का चलन बढ़ रहा है, लेकिन क्या इसकी कीमत नागपुर के नागरिकों की सुरक्षा और शांति से चुकाई जाएगी? अब जवाबदेही तय करना ज़रूरी है। केवल आदेश नहीं, अब कार्रवाई चाहिए।