Published On : Tue, Jun 3rd, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

देशभर के मंदिरों में चोरी करने वाला अंतरयामी जमानत से वंचित

नागपुर जिला न्यायालय ने याचिका खारिज की

नागपुर: जिला न्यायालय में एक सनसनीखेज मामला उस समय सामने आया जब एक आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ कि वह देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिरों में चोरी के मामलों में वांटेड है। आरोपी अंतरयामी उर्फ संतोष परमानंद दास की ओर से दायर जमानत याचिका को अदालत ने गंभीरता से लेते हुए सख्ती से खारिज कर दिया।

यह मामला नागपुर के ग्रेट नाग रोड, जूनी शुक्रवारी स्थित शीतलनाथ दिगंबर जैन मंदिर में हुई चोरी से संबंधित है। मंदिर सचिव की शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस ने बीएनएस 2023 की धारा 331(3), 331(4), 305(डी), 319(2), 336(2), 336(3), 340(2) के तहत मामला दर्ज किया था।

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मामले की पृष्ठभूमि:

28 फरवरी 2025 को सुबह 6:50 बजे मुकेश दोशी नामक व्यक्ति ने मंदिर में चोरी की जानकारी पुलिस को दी। बताया गया कि मंदिर से चांदी के आभूषण और नकदी गायब है। इसके बाद मंदिर सचिव ने औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई, जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया।

सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि पहले भले ही जमानत याचिका खारिज हुई हो, लेकिन अब आरोपपत्र दाखिल हो चुका है और जांच पूरी हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है और उसका पूरा परिवार उस पर निर्भर है, इसलिए उसे रिहा किया जाना चाहिए।

सरकारी वकील का विरोध:

सरकारी वकील ने जोरदार विरोध करते हुए बताया कि अंतरयामी देशभर के जैन मंदिरों में चोरी करने का आदी है। उसने भगवान शीतलनाथ, शांतिनाथ और अन्य देवताओं की चांदी की मूर्तियां, सिंहासन और दान पेटी की नकदी चुराई है। कुल मिलाकर ₹11,82,500 की चोरी हुई है, जिसकी पुष्टि CCTV फुटेज से भी होती हैदेशभर में दर्ज हैं मामले:

कोर्ट को बताया गया कि आरोपी के खिलाफ गणेशपेठ थाना में दो मामले दर्ज हैं।
वह तहसील

थाना में दर्ज केस में पेश नहीं हुआ था।
गोवा के पणजी और कर्नाटक के मुदाबिद्री थानों में वह फरार है।
उसने फर्जी आधार कार्ड भी बनवा रखे हैं।

साथ ही, आरोपी ने:

  • गोंदिया के रामदेवरा मंदिर,

  • रायगढ़,

  • लालबाग (कटक),

  • और कोल्हापुरी गेट (अमरावती)
    में भी चोरियां की हैं।

कोर्ट का सख्त रुख:

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और आरोपी के बार-बार अपराध करने की प्रवृत्ति को देखते हुए अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि उसे जमानत देना न्यायहित में नहीं होगा। परिणामस्वरूप अंतरयामी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।

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