नागपुर: सूरजागढ़ में अवैध उत्खनन का मामला हाल ही में शीतसत्र के दौरान विधानसभा में गरमाया रहा। अब इसी मुद्दे पर समरजीत चैटर्जी द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई के बाद दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें समाप्त कर दी हैं, और दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की है कि आवश्यकता अनुसार सर्वसम्मति से लिखित नोट और दस्तावेज़ दाखिल किए जाएंगे। गत सुनवाई में याचिकाकर्ता ने पुनः अर्जी दायर की, जिसमें यह खुलासा किया गया कि उत्खनन करने वाली कंपनी लायड के पास पर्यावरण मंजूरी नहीं होने के बावजूद निरंतर उत्खनन किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधि. वैरागडे ने पैरवी की।
याचिकाकर्ता ने बताया कि प्रति वर्ष 3 मिलियन टन उत्खनन करने के लिए कंपनी को 29 मई 2006 को पर्यावरण मंजूरी प्राप्त हुई थी। यह मंजूरी केवल 5 वर्षों के लिए थी, जो 2011 तक ही वैध थी। इसके बाद कंपनी ने बिना पर्यावरण मंजूरी के उत्खनन जारी रखा। आश्चर्य की बात यह है कि बिना आवेदन किए ही वन और पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण मंजूरी प्रदान की गई थी। अब तक कंपनी ने अवैध रूप से 6 मिलियन टन उत्खनन किया है, जो पहले दी गई मंजूरी से दोगुना है। याचिका में यह भी बताया गया कि महाराष्ट्र पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंपनी के खिलाफ अहेरी स्थित प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी के पास शिकायत दर्ज की थी, जिस पर सुनवाई कर 11 जुलाई 2023 को कंपनी के खिलाफ आदेश भी जारी किया गया था।
याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कंपनी द्वारा किए जा रहे उत्खनन पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने बताया कि कंपनी की उत्पादन क्षमता के मुकाबले केंद्र सरकार ने उसे 50 प्रतिशत अधिक उत्खनन करने की अनुमति दी है, जो उत्खनन के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों और नियमों के खिलाफ है। प्रशासन को इस संदर्भ में सचेत करते हुए ज्ञापन भी सौंपा गया था, लेकिन उसे दरकिनार कर अनुमति प्रदान कर दी गई।