नागपुर: सुराबर्डी जलाशय के प्रदूषण और अवैध निर्माणों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि तहसीलदार को नोटिस जारी कर निर्माण हटाने के स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं। याचिका नितिन शेंद्रे द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें प्रशासन और राज्य सरकार को सुराबर्डी झील की रक्षा हेतु तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया गया था।
जिलाधिकारी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि न केवल तहसीलदार बल्कि भूमि अभिलेख उप अधीक्षक, नागपुर (ग्रामीण) और जिला भूमि अभिलेख अधीक्षक को भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इनमें पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग का सर्वे और नापजोख करने के निर्देश भी शामिल हैं। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुधीर मालोदे और सिंचाई विभाग की ओर से अधिवक्ता जैमीनी कासट ने पैरवी की।
कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी कार्रवाई रिपोर्ट
जिलाधिकारी ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता के तहत की गई कार्रवाई की रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत की जाएगी। कोर्ट ने इससे पहले लघु सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने बताया कि लीज की समयावधि वर्ष 2015 में ही समाप्त हो चुकी थी, फिर भी लीजधारक से जमीन वापस नहीं ली गई और अवैध रूप से अवधि बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि लीजधारक एजेंसी के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए क्या कार्रवाई की गई है। इस संबंध में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल के मुख्य अभियंता को शपथपत्र दायर करने के निर्देश दिए गए हैं।
अतिक्रमण पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुराबर्डी क्षेत्र में सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण हुआ है, जिनमें पानी की टंकियां जैसे स्थायी ढांचे भी शामिल हैं। तहसीलदार की ओर से हलफनामे में इन ढांचों को हटाने में आनेवाली बाधाओं का उल्लेख किया गया। सरकारी वकील ने सुझाव दिया कि ऐसी स्थिति में सार्वजनिक आवागमन बनाए रखने के लिए वैकल्पिक मार्ग का प्रस्ताव लाया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक कार्यवाही स्थगित करते हुए सभी संबंधित विभागों को जवाबदेही के साथ कार्रवाई का आदेश जारी रखा है।