निखिल बहेकार में साइकिल से 9 घंटे 23 मिनट में पूरा किया गोंदिया टू कान्हा का 250 किमी. का सफर
गोंदिया। पहाड़ी रास्ते बेहद दुर्गम होते हैं , ऐसे टेढ़े-मेढ़े और ऊंचाई तथा ढलान भरे रास्तों पर साइकिलिंग बेहद मुश्किल होती है लेकिन ऐसे रास्तों पर सरपट कुशलता से साइकिल दौड़ते हुए गोंदिया निवासी साइकिलिस्ट ने गजब की फुर्ती और हौसले का परिचय दिया है।
मजबूत इरादों वाले जोशीली व्यक्ति के लिए इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।
जी हां हम बात कर रहे हैं गोंदिया के टीबी टोली निवासी 28 वर्षीय युवक निखिल बहेकार की जिन्होंने बुलंद हौसले और पक्के इरादों के दम पर एक बार फिर अपने फैंस को चौंकाया है।
निखिल बहेकर को साइकिलिंग संडे ग्रुप टीम ने 23 अक्टूबर रविवार को टी-प्वाइंट चौराहे से सुबह 6:00 बजे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया तथा उन्होंने गोंदिया टू कान्हा केसरी की 250 .72 किलोमीटर की दूरी 9 घंटे 23 मिनट 26 सेकेंड में पूरी करते नया रिकॉर्ड बनाया है।
बता दें कि कान्हा टाइगर रिजर्व को स्थानीय निवासी कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान भी कह कर बुलाते हैं यह क्षेत्र सतपुड़ा की पहाड़ियों से भी घिरा है जिसकी ऊंचाई इस वन क्षेत्र में 450 मीटर से 900 मीटर तक जाती है। निखिल बहेकर यह बालाघाट से बैहर रोड होकर सतपुड़ा पहाड़ी के 52 दुर्गम मोड़ से होते हुए कान्हा नेशनल पार्क की रेंज को कवर करने वाले (मुक्की प्रवेश द्वार ) पर पहुंचे जहां उन्होंने सेल्फी ली और फिर गोंदिया के लिए साइकिलिंग करते हुए रवाना हो गए इस पूरी यात्रा के दौरान उनकी एवरेज स्पीड 26.7 किलोमीटर प्रति घंटे की रही जो अपने आप में रिकॉर्ड है तथा उनके गजब की फुर्ती और हौसले का परिचय दे रही है।
इस दौरान उनके साइकिल के पीछे बाइक पर हाइकिंग करते हुए साथ चल रहे आयुष दोनोड़े तथा कैमरामैन सचिन गौतम ने उनका हौसला बढ़ाया।
विशेष उल्लेखनीय है कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान यह मध्य भारत का मध्य प्रदेश राज्य के मंडला और बालाघाट जिले में स्थित है।
इस कान्हा टाइगर रिजर्व में वर्ष 2018 में की गई गणना के अनुसार बाघों की संख्या 125 ( 83 बाघ ओर 26 शावक) थी जहां पाए जाने वाले बंगाल टाइगर , बारहसिंगा , काले हिरण ,मोर , सांभर , जंगली सूअर ,लंगूर , चीतल , भालू , जंगली भैंसा आदि वन्यजीव खुले में विचरण करते देखे जा सकते हैं।
प्राकृतिक रूप से यह वन क्षेत्र बहुत समृद्ध है इसी वजह से देश और दुनिया से हजारों की संख्या में पर्यटक यहां प्रतिवर्ष आते रहते हैं।
19 अक्टूबर से 30 जून तक यह उद्यान पर्यटकों के लिए खुला रहता है यहां हाथी पर बैठकर जंगल सफारी करते हुए वन्यजीवों के साथ प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिल जाती है।
रवि आर्य