Published On : Sat, Jun 5th, 2021

अच्छे भूमि का प्रभाव पड़ता हैं- आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी

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नागपुर : अच्छे भूमि का प्रभाव पड़ता हैं यह उदबोधन प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन सर्वोदय धार्मिक शिक्षण शिविर में दिया.

गुरुदेव ने कहा वास्तु के पंचतत्व होते हैं, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति यह पंचतत्व हैं. जो भूमि नैऋत्य वायव्य यदि ऊंचा हैं, आग्नेय ढलान पर हैं ऐसी भूमि गज पृष्ठभूमि हैं. धन धान्य के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी होती हैं. जो भूमि बीच में उठी हैं चारों ओर ढलान हैं, मध्य भाग उठा हुआ यह भूमि सर्वोत्तम, यश, समृद्धि देनेवाली होती हैं. यहां रहनेवाले के परिणाम धन के, सदाचार के बनते हैं. अच्छी भावना लोगों की अच्छी भावना बनाती हैं.

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भूमि का प्रभाव पड़ता हैं. नैऋत्य वायव्य में ऊंची हैं, ईशान्य, आग्नेय पर ढलान हैं यह गज पृष्ठभूमि हैं. जो भूमि पूर्व, आग्नेय ईशान्य में ऊंची हो और नीचे हो वह दैत्य पृष्ठभूमि होती हैं, ऐसी भूमि काम की नहीं होती हैं, कलह, अपयश, धन हानि, पुत्र हानि होती हैं.

अपने घर में दक्षिण और पश्चिम उठा देते हैं, पश्चिम में गढ्ढा होता हैं तो वहां हानि होती हैं. जो भूमि पूर्व दिशा में लंबी और दक्षिण में ऊंची होती हैं. नदी किनारे, तालाब किनारे पर घर बनाना समझदारी नहीं हैं. मंदिर के पास घर बनाना समझदारी नहीं हैं. घर में गृह चैत्यालय चलता हैं, बड़ा मंदिर घर में नहीं चलता. जिस घर में गृह चैत्यालय होता हैं उस घर में भूत व्यंतर आदि की बाधा नहीं होती हैं. गृह चैत्यालय से हजारों संकट दूर होते हैं. जिस घर में अभिषेक होता हैं उस घर के बच्चे देवता के समान पुण्यवान होते हैं.

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