Published On : Wed, Jun 2nd, 2021

गुरुओं की वाणी सुनना सेवा हैं- आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी

Advertisement

नागपुर : गुरुओं की वाणी सुनना सबसे बडी सेवा हैं, गुरुओं के प्रति श्रद्धा, विनय भाव रखना यही सेवा हैं यह उदबोधन प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने विश्व शांति अमृत ज्ञानोत्सव के अंतर्गत श्री. धर्मराजश्री तपोभूमि दिगंबर जैन ट्रस्ट और धर्मतीर्थ विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन धर्मसभा में दिया.

गुरुदेव ने धर्मसभा में कहा गुरुओं के दर्शन बड़े भाग्य से मिलते हैं. गुरुओं के दर्शन, गुरुओं की वाणी जीवन में अनमोल संपत्ति हैं. हमेशा अपनी बात रखने का खूबसूरत अंदाज़ रखो ता कि जवाब खूबसूरत सुनो. प्रेम की धारा बहाते रहे और अपना विश्वास गुरुओं पर रखे. गुरु से जो मिलता अकल्पनीय, अचिंतनीय होता हैं. गुरु की वाणी सुनना सबसे बड़ी सेवा हैं. गुरुओं के प्रति श्रद्धा, विनय भाव रखना यह भी सेवा हैं. गुरु का वर्णन का करना सेवा हैं.

Gold Rate
29 July 2025
Gold 24 KT 98,300 /-
Gold 22 KT 91,400 /-
Silver/Kg 1,14,000/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

धर्म धारण करने की चीज हैं- आचार्यश्री श्रेयसागरजी
आचार्यश्री श्रेयसागरजी गुरुदेव ने कहा जिसके लिए सारे दरवाजे बंद होते हैं उसके लिए धर्म का दरवाजा खुला रहता हैं. जानते तो हैं पर सुनते नहीं हैं. धर्म के बारे में केवल जान के काम नहीं चलेगा, मानने से काम नहीं चलेगा, केवल जीवन में उतारने से काम नहीं चलेगा. जानना, मानना की एकाग्रता होना चाहिए तब धर्म में आगे बढ़ पायेंगे. भोजन करने से शरीर स्वस्थ रहता हैं, भोजन कर पचाना पड़ता हैं, सभी के शरीर की स्थिती एक जैसी नहीं होती रहती हैं. भोजन को मलद्वार से नहीं निकाला तो शरीर स्वस्थ नहीं रहता. इसी प्रकार धर्म को जानना, मानना, जीवन में उतारना तो धर्म में आगे बढ़ पायेंगे. केवल दीपक से भगवान की आरती नहीं होगी. दीया, वाती, घी से भगवान की आरती होगी.

इसमें एक भी नहीं रहा तो आरती हो नहीं सकती. धर्म एक हैं, धर्म को कहनेवाले अनेक हैं. धर्म धारण करने की चीज हैं. जीवन धर्म नहीं तो जिंदगी बर्बाद हैं. धर्म को ग्रहण करना हैं. धर्म की नांव में पैर रखने के लिए गुरुदेव ही सहायक हैं. धर्मसभा का संचालन स्वरकोकिला गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने किया. धर्मतीर्थ विकास समिति के प्रवक्ता नितिन नखाते ने बताया गुरुवार 3 जून को सुबह 7:20 बजे शांतिधारा, सुबह 9 बजे उपाध्याय रविनंदी गुरुदेव का उदबोधन होगा, शाम 7:30 बजे से परमानंद यात्रा, चालीसा, भक्तामर पाठ, महाशांतिधारा का उच्चारण एवं रहस्योद्घाटन, 48 ऋद्धि-विद्या-सिद्धि मंत्रानुष्ठान, महामृत्युंजय जाप, आरती होगी.

Advertisement
Advertisement