• उत्कृष्ट काम के लिये डॉ. दीक्षित को यह बेहद अहम पुरस्कार
नागपुर: महा मेट्रो के प्रबंध निदेशक डॉ ब्रिजेश दीक्षित का बेहद महत्वपूर्ण माना जानेवाले `कंस्ट्रक्शन वर्ल्ड पर्सन ऑफ द इयर २०२०’ पुरस्कार के लिये चयन हुआ है. फ़ाउंडेशन ऑफ इन्फ्रास्ट्रक्चर रिसर्च स्टडीज ट्रेनिंग (फ़र्स्ट) कंस्ट्रक्शन कौंसिल – निर्माण क्षेत्र में जाने माने संस्था के तौर पर इस संस्था का नाम है – उनका चयन इस पुरस्कार के लिये किया है. उक्त वर्ष में अपनी कंपनी के साथ-साथ निर्माण व्यवसाय को भी आगे ले जानेवाले व्यक्ती को यह पुरस्कार दिया जाता है. ऑन लाइन पध्दतीसे पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन अगले माह की ऑक्टोबर १६ तारीख को शाम ५ बजे होगा.
सात सदस्यो कि ज्युरी ने डॉ दीक्षित का चयन किया हैं. ज्युरी सदस्योके नाम इस तरह से है – श्री बेंजामिन ब्रिन, प्रबंध निदेशक, प्रमुख, एशिया पॅसिफिक निर्माण विभाग, प्रोजेक्ट मॅनॅजमेण्ट इन्स्टिट्यूट, श्री विपुल रुंगटा, प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एचडिएफसी कॅपिटल एडव्हायसर्स, श्री प्रदीप सिंह, माजी उपाध्यक्ष, आयडिएफसी प्रोजेक्ट्स, श्री विजय अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक, एक्वीरस कॅपिटल, श्री आर के नारायण, प्रमुख संचालन अधिकारी, ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स पार्क प्रायव्हेट लिमिटेड, श्री मोहम्मद अली जाना, अध्यक्ष, आयएफएडब्लूपीसीए, मालदीव और श्री फरीद अहमद, विभागीय प्रमुख, बिक्री, अपोलो टायर्स.
महा मेट्रो के नागपुर तथा पूना परियोजना के टीम लीडर के तौर पर आजतक जो कामयाबी डॉ. दीक्षित ने हासिल की है, उसी के लिये उन्हे यह पुरस्कार दिया जा रहा है. नागपुर मेट्रो परियोजना के कुल ४ मार्ग है, जिसमें प्रवासी यातायात २ मार्ग पर शुरु हो चुकी है (फिलहाल कोरोना के चलते यह सेवा बंद है). इन २ मार्ग का अंतर कुल २५ किलोमीटर है जो मात्र ५० महीनों में पुरा कीया गया. अर्थात प्रत्येक दो महिनो में एक किलोमीटर के मार्ग का निर्माण किया गया. इस गति से मेट्रो का काम होने का यह पहला ही प्रसंग है.
नागपुर मेट्रो परियोजना का काम शुरु होने के बाद केवल ३० महीनों में याने २०१७ में ट्रायल रन लिया गया. इतने कम समय ट्रायल रन लिये जाने का यह पहला ही मौका है. कार्य करने कि गती केवल ट्रायल रन लेने तक ही सीमित नही है बल्की कोरोना के कारण निर्माण हुई परिस्थितियों के चलते जहा पुरे देश में लॉक डाऊन में था, वही महा मेट्रोने नागपुर में मजदूर कम होने के बावजुद इस दौरान ४ स्टेशन का निर्माण किया. यह स्टेशन अब प्रवासी यातायात के लिये तैयार है.
डॉ दीक्षित के नेतृत्व में महा मेट्रो ने कई पुरस्कार प्राप्त किये है. इनमें बेन्टली इयर इन् इन्फ्रास्ट्रक्चर २०१७, सैप एस अवॉर्ड २०१८, आयसीआय (नागपुर) अल्ट्राटेक अवॉर्ड शामिल है. अर्बन मोबिलिटी इंडिया (युएमआय) – यह देश स्तर पर होने वाले सम्मेलन में प्रदर्शित किये गये साहित्य को लगातार ४ साल तर्क प्रथम पुरस्कार मिला. वैश्विक सुरक्षा दिन के निमित्त आयोजित कार्यक्रम में महा मेट्रो किस तरह से सुरक्षा के नियमों का पालन करती हैं यह दिखाने के लिये बडी मानव शृंखला का आयोजन किया था. इस का जिक्र लिमका बुक ऑफ रेकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में किया गया. मेट्रो स्टेशन के निर्माण के समय पर्यावरण के नियमों का पालन कीया गया इसलिये स्टेशनों को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग कौंसिल कि तरफसें प्लॅटिनम श्रेणी मिली है. इसी वजह से महा मेट्रो के नागपूर परियोजना को आयएसओ (ISO) १४००१ – २०१५ प्रशस्तीपत्र भी प्राप्त हुआ है.
महा मेट्रो उन गिने चुने संस्थाओ में से है जिसे इतने सारे पुरस्कार प्राप्त हुए है. इसलिये इस संस्था के प्रमुख इतना अहम पुरस्कार मिलना बेहद स्वाभाविक है. महा मेट्रो के काम कि गती तथा इसके गुणवत्ता का जिक्र हमेशा ही होता हैं और इसके चलते इस संस्था कि प्रशंसा भी होती है. यही फरक महा मेट्रो और देश में अन्य जगहों पर चल रहे मेट्रो परियोजना में है. और यही वजह है की तेलंगण सरकार ने अपने राज्य के वारंगल शहर में मेट्रो परियोजना के लिये महा मेट्रो से सहायता मांगी हैं.
नागपुर का सभी तरह से विकास हो इसलिये डॉ. दीक्षित के प्रयासों को फ़र्स्ट कंस्ट्रक्शन कौन्सिलने सराहा और इसलिये उनका चयन इस बडे पुरस्कार के लिये किया. डॉ दीक्षित ने इस पुरस्कार का श्रेय निरंतर तथा बिना थके हुए काम कर रहे मेट्रो के कर्मचारी, अधिकारी, कॉन्ट्रॅक्टर, सलाहगारो को दिया है.