नागपुर: अवैध रेत उत्खनन को लेकर भले ही ड्रोन के जरिये हवाई गश्त लगाई गई हों लेकिन अवैध रेत उत्खनन की गतिविधियों में कमी होती दिखाई नहीं दे रही है। 1 अप्रैल 2016 से लेकर 31 जनवरी 2017 तक कुल दस महीनों में जिला खनिकर्म विभाग की ओर से 741 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 179 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं। 96 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें 3 करोड़ 7 लाख 19 हजार रुपए दंडस्वरूप वसूल किए गए हैं। जबकि कार्रवाई में 2 करोड़ 11 लाख रुपए का माल ज़ब्त किया गया था।
रेत माफियाओं के साथ अवैध रेत उत्खनन करनेवालों में दहशत का विकल्प बन चुके ड्रोन हवाई गश्त के दूसरे सीजन में नाटकीय ढंग से कोई कार्रवाई होते दिखाई नहीं दे रही है। एक समय ड्रोन की हवाई गश्त को लेकर आलम यह था कि कई रेत घाटों पर अवैध उत्खन्न की गतिविधियां उजागर हुई थीं। सितंबर माह में रेत घाट बंद होते ही ड्रोन की पहली सेवा बंद की गई थी। दूसरी बार घाट शुरू होने के तकरीबन दो माह बाद ड्रोन की हवाई गश्त शुरू की गई। लेकिन दो माह से एक दिन अंतराल के बाद लगातार की जा रही गश्त के बाद भी विभाग एक भी अवैध उत्खनन की पोल खोल नहीं तक पाया है।
बता दें कि अब तक 34 रेत घाटों की नीलामी हो चुकी है। शेष 23 घाटों की नीलामी 16 फरवरी को रखी गई है।अब तक घाटों की नीलामी से तकरीबन 19.50 करोड़ रुपए राजस्व के रूप में जमा हो चुके हैं। विभाग के उपजिलाधिकारी प्रकाश पाटील ने बताया कि ड्रोन की कार्रवाई में अब कोई अवैध गतिविधियां नज़र नहीं आ रही हैं। इसके पीछे ठेकेदारों द्वारा जमा 20 प्रतिशत की राशि के कुर्क करने और घाट की मान्यता रद्द करने को लेकर भी एक प्रमुख कारण माना जा सकता है। साथ ही हर माह दो बार पूरे जिले को सील करने के अभियान का भी असर हुआ है।