इन दिनों शहर में ‘मसीहा’ ने मानो जादू कर दिया है। फेसबुक और व्हाट्सअप्प पर जहाँ-वहां ‘मसीहा’ ही छाया हुआ है। जुलाई में जिन्हें इस हिंदी नाटक का प्रीमियर शो देखने का मौका मिला वो अब दूसरी बार भी इसे देखना चाहते है और जिन्होंने अब तक नहीं देखा वो इस बार ये मौका खोना नहीं चाहते है। और नागपुर में यह पहली बार हो रहा है की किसी नाटक के एक-के-बाद-एक पांच शो किये जा रहे है, वो भी दो दिनों में। १८ और १९ अक्टूबर को ‘मसीहा’ के पांच शो डॉ वसंतराव देशपांडे सहगृह नागपुर में किये जा रहे है।
तो जानिए कुछ ऐसे कारण जिसके वजह से दर्शक बेक़रार है ‘मसीहा’ देखने के लिए।
(१) राष्ट्रीय महोत्सव के लिए किया गया आमंत्रित: ‘मसीहा’ उन १८ नाटकों में से एक है जिन्हें पुरे भारतभर से इप्टा (इंडियन पीपल्स थिएटर असोसिएशन) के राष्ट्रीय प्लैटिनम जुबिली महोत्सव के लिए चुना गया है। २७ से ३१ अक्टूबर २०१८ तक पटना में आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शबाना आज़मी के हाथों होगा। देश और विदेश से लगभग १००० कलाकार इस महोत्सव के लिए आमंत्रित किये गए है। प्रकाश राज, संजय मिश्रा, अखिलेन्द्र मिश्रा और अन्य अभिनेता भी इस महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करने वाले है। नाटक, संगीत और साहित्य के क्षेत्र के दिग्गज कलाकारों के सामने इस नाटक को पेश करने का मौका मिलना यह नागपुर के कलाकारों के लिए एक गर्व की बात है।
(२) नाटक का निर्देशन: ‘मसीहा’ का निर्देशन जानेमाने निर्देशक रुपेश पवार ने किया है। मंचन की अपनी साहसी शैली से रुपेश ने मध्य भारत के रंगमंच पर अपनी एक अलग पहचान बनायीं है। हाल ही में, उनके मराठी नाटक ‘आणि शेवटी प्रार्थना’ को महाराष्ट्र राज्य नाट्य प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। नागपुर के किसी नाटक को २२ साल बाद यह पुरस्कार मिला है। रुपेश एक दशक से ज्यादा समय से रंगमंच पर कार्यरत है और उन्होंने सादत हसन मंटो, ख़्वाजा अहमद अब्बास, प्रेमचंद और कई जानेमाने लेखकों की कहानियों पर आधारित नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है।
(३) नाटक का दमदार लेखन: जिस नाटक को वर्तमान का एक साहसी और दमदार नाटक कहा जा रहा है, उसका लेखन किया है शैलेश नरवाडे ने। शैलेश ने मराठी फिल्म ‘रूममेट्स’ का लेखन और निर्देशन किया है। यह फिल्म एनएफडीसी द्वारा नवंबर २०१७ में गोवा में आयोजित फिल्म बाज़ार का हिस्सा थी। शैलेश ने और भी चार नाटक और दो शार्टफिल्म्स का लेखन और निर्देशन किया है। उन्होंने पत्रकारिता क्षेत्र में नेटवर्क१८ ग्रुप, रिलायंस कम्युनिकेशंस, फ्री प्रेस जर्नल और हितवाद में काम किया है।
Watch people’s verdict on ‘Maseeha’ here:
(४) नाटक की वेशभूषा: ‘मसीहा’ इस नाटक को देखते समय और देखने के बाद भी एक और बात जो हमारे जहन में रहती है वो है इस नाटक के कलाकारों की वेशभूषा। और ऐसे कॉस्ट्यूम्स डिज़ाइन करने का काम किया है ऋतुजा वानखेड़े ने। ऋतुजा ने पुणे के एक संस्थान से फैशन डिजाइनिंग की शिक्षा प्राप्त की है। उनका एक डिज़ाइन अमरीका की एक फैशन वीक मैगज़ीन में चुना गया है।
(५) दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ: दर्शंकों का कहना है की इस नाटक के संवाद, इसका संगीत और कहानी का रोमांच उन्हें पूरा समय बांधे रखता है। जिन्होंने ‘मसीहा’ देखा है वो इसकी तारीफ़ करते नहीं थकते। और जिन्होंने देखा नहीं है वो अब ये मौका खोना नहीं चाहते। जिन्होंने देखा है उनका कहना है की सभी ने कम से कम एक बार ‘मसीहा’ ज़रूर देखना चाहिए।
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