Published On : Wed, Mar 22nd, 2017

45 करोड़ नहीं दिए और अब कार्यालय पर ताला जड़ने की भी तैयारी

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Vidarbha Compact Irrigation Development Office
नागपुर:
राज्य सरकार के जलसंरक्षण मंत्रालय की तहत कार्यरत विदर्भ सघन सिंचन विकास कार्यालय का कामकाज इनदिनों निधि के आभाव में ठप पड़ा हुआ है। विदर्भ संभागीय इस कार्यालय से विदर्भ भर के सभी 11 जिले में विविध योजनाएं कार्यान्वित हुआ करती हैं, लेकिन फ़िलहाल तो जैसे कामकाज इस कार्यालय के लिए पुरानी बात हो गयी हो! मजेदार बात यह है कि दो वर्षों से अनिवार्य निधि की मांग के बावजूद राज्य तथा केंद्र दोनों स्तर पर इस कार्यालय की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और उस पर खबर यह कि 31 मार्च से हमेशा के लिए इस कार्यालय पर सरकार की ओर से ताला जड़ दिया जाने वाला है। बताया जाता है कि इस कार्यालय द्वारा क्रियान्वित विविध योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में हुए खर्च में 45 करोड़ की देनदारी है, जिसमें 22 करोड़ रुपए ठेकेदारों के हैं।

विदर्भ सघन सिंचन विकास संभागीय कार्यालय की तहत शून्य से 250 हेक्टेयर तक सिंचाई की व्यवस्था बनाना प्रत्येक जिलास्तरीय कार्यालय का प्राथमिक कार्य होता है। इसके साथ ही मालगुजारी तालाबों का रखरखाव और उनका संरक्षण, कोल्हापुरी बांधों का निर्माण और संरक्षण जैसे कार्य भी प्रमुखता से किए जाते हैं। विदर्भ सिंचन महामण्डल, राज्य एवं केंद्रीय जलसंरक्षण मंत्रालयों की ओर से विदर्भ सघन सिंचन विकास संभागीय कार्यालय को निधि उपलब्ध करायी जाती है। किन्तु पिछले आर्थिक वर्ष यानी 2015-16 से इस कार्यालय को फूटी कौड़ी निधि के तौर पर उपलब्ध नहीं कराई गयी है। बीते और इस आर्थिक वर्ष का कुल मिलाकर 45 करोड़ रुपए बकाया है और निधि के आभाव में सिंचाई से जुड़े सारे विकास काम रुके पड़े हैं। इस 45 करोड़ में 32 करोड़ रुपए विविध कार्यों के पेंडिंग बिल है और 22 करोड़ ठेकेदारों की देनदारी है।
इधर 31 मार्च से कार्यालय पर ताला लगने की खबर से ठेकेदारों और अन्य बकाएदारों में भारी बेचैनी है। उन्हें इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है कि यदि कार्यालय ही बंद हो जाएगा, तो उनके बकाए धनराशि का भुगतान कौन, कब और कैसे करेगा?

विदर्भ सघन सिंचन विकास संभागीय कार्यालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य सरकार ने दो साल पहले ही इस कार्यालय को बंद करने का निर्णय ले लिया था, प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित था और अब वहां से हरी झंडी मिलने के बाद 31 मार्च 2017 को विदर्भ सघन सिंचन विकास कार्यालय इतिहास के पन्नों में दर्ज एक नाम बनकर रह जाएगा।

अधिकारी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार इस कार्यालय द्वारा संचालित कार्यों को बंद नहीं करेगी, बस कार्यालय बंद होगा और यहाँ होने वाले सारे कामकाज दूसरे किसी नाम से आगे बढ़ाए जाएंगे।