Published On : Mon, Dec 1st, 2014

कन्हान : 40 वर्ष पुरानी जमीन अब किसानों को दे दी जाए

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शिष्टमंडल ने यू.एल.सी. मुक्त कर 7/12 जारी करने की गुजारिश की केन्द्रीय मंत्री से

Nitin Gadkari
कन्हान (नागपुर)।
कन्हान स्थित 7 गांवों में 160 किसानों द्वारा अधिग्रहीत महाराष्ट्र सरकार की जमीन को यू.एल.सी. से मुक्त कर किसानों के नाम पर 7/12 दिए जाने संबंधी निवदेन जयराम मेहरकुळे के नेतृत्व में एक शिष्टमण्डल केन्द्रीय परिवहन व जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी को निवेदन सौंपा.

यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार, निवेदन में बताया गया कि  यू.एल.सी. अधिनियम 1976 के अनुसार पारशिवनी तालुका के कन्हान, कांद्री, पिपरी, सिहोरा, खंंडाळा, गहू हिवरा, टेकड़ी के गांवों के 160 किसानों की जमीन यू.एल.सी. के अंतर्गत दिया गया. 40 वर्षों के बाद भी परिसरों में कोई भी औद्योगिक विकास नहीं हुआ. इस दौरान कन्हान परिसर में स्थापित अनेक उद्योग बंद होते चले गये. इसलिए औद्योगिक क्षेत्र से पिछड़े होने के नाम पर सरकार कोई मुआवजा न देते हुए किसानों द्वारा अधिग्रहीत जमीन को यू.एल.सी. मुक्त कर किसानों के नाम पर 7/12 बनाकर दे दिए जाएँ. इस संदर्भ में अनेक दिनों से किसानबंधु संघर्षशील हैं. इन जमीनों पर किसान बैंक से कर्ज, सुरक्षा कर्ज, जमीन बिक्री न कर पाने से लड़कियों की शादी, लड़कों की शिक्षा जैसे कार्य नहीं कर पा रहे हैं. इसी सिलसिले में 23-04-2010 में विधायक आशीष जायस्वाल के नेतृत्व में विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में समस्या रखी गयी थी. उसमें राज्यमंत्री ने कृषि भूमि पर यू.एल.सी. हटाकर किसानों के नाम 7/12 दिए जाने का आश्वासन दिया था, परंतु किसानों को अब तक राहत नहीं दी गई. इसलिए 17-04-2013 को पुन: विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में समस्या उठायी गई. उसमें देवेन्द्र फडणवीस ने 15 दिनों में निर्णय किए जाने की बात कही थी. मगर फिर मामला लटक गया. फिर 14-06-2014 को पुन: मामला उठाया गया. उस वक्त उप समिति की 15 दिवसीय बैठक कर निर्णय लिए जाने की बात तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कही था. बाद में 27-07-2014 को दोपहर 4 बजे उपसमिति की बैठक मुंबई के सहयाद्रि के अतिथिगृह में थी. उसमें नोटिस दी गई. उस वक्त किसानों के प्रतिनिधि के रूप में जयराम मेहकुळे के साथ अनेक किसानों मौजूद थे. ऐन वक्त में तत्कालीन मुख्यमंत्री चव्हाण दिल्ली दौरे में निकल जाने के कारण उपसमिति की बैठक रद्दी कर दी गई. इसलिए 40 वर्षों से संघर्षशील पीडि़त किसानों को यथाशीघ्र उक्त जमीन की यू.एल.सी. रद्द कर किसानों के नाम पर 7/12 दिए जाने का सार्थक प्रयास करते हुए अंतिम निर्णायक फैसला लें. निवेदन सौंप कर उक्त शिष्टमण्डल ने मंत्री महोदय से नम्रतापूर्वक गुजारिश की. अब देखना यह है कि 40 वर्षों से न्याय की आस लिए हल चलाते किसानों को क्या भाजपा सरकार न्याय देने में सफल हो पाती है अथवा कांग्रेस-राकांपा की आघाड़ी सरकार की भांति आश्वासनों का पुलिंदा देकर झुलाती रहेगी?