Published On : Sat, Jul 14th, 2018

महावितरण पर 40 हजार करोड़ का कर्ज

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नागपुर: बिजली के तार जमीन पर पड़ने के बाद दुपहिया वाहन पर जा रहे मां-बेटे के घायल होने तथा इस संदर्भ में महावितरण के अधिकारियों की लापरवाह कार्यप्रणाली को लेकर शुक्रवार को विधानसभा में विधायकों ने प्रश्नकाल के दौरान मामला उठाया.

विधायकों का जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि भले ही महावितरण कम्पनी पर 40,000 करोड़ का कर्ज हुआ हो, लेकिन दुर्घटना की संभावनाओं वाले स्पॉट को देखते हुए रखरखाव के लिए पुन: कर्ज लेकर कार्य करने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आर एंड एम के लिए विभाग की ओर से 7300 करोड़ का प्लान तैयार किया गया है, जिसे अंतिम रूप देने का प्रयास किया जा रहा है.

मुआवजे के लिए ग्रामीण अस्पताल का भी चलेगा प्रमाणपत्र
चर्चा के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि इस तरह से घटना होने के बाद मुआवजे के लिए कई तरह की शर्तें लागू की गई हैं, जिसमें सिविल सर्जन का प्रमाणपत्र भी देना अनिवार्य है. हालांकि शहर और उसके आसपास दुर्घटना होने पर पीड़ितों के लिए भले ही इस तरह का प्रमाणपत्र प्राप्त करना मुश्किल न हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए यह त्रासदी भरा रहता है.

ग्रामीण अस्पतालों में भी सरकार के ही अधिकारी नियुक्त रहते हैं, जिससे ग्रामीण अस्पताल के अधिकारी का भी प्रमाणपत्र पूरक होने के लिए सरकार शर्त को शिथिल करेगी क्या? इस पर जवाब देने की मांग उन्होंने की. उन्होंने कहा कि घटना में मृतकों को 4 लाख देने का प्रावधान है, लेकिन घायलों को काफी कम मुआवजा दिया जाता है जिससे कम से कम 50 हजार या 1 लाख रु. तक का मुआवजा देने की मांग भी की. चर्चा के दौरान ऊर्जा मंत्री ने ग्रामीण अस्पताल के प्रमाणपत्र को भी पूरक माने जाने की जानकारी दी.

फसल जलने पर 3 माह में मुआवजा
चर्चा के दौरान ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इस तरह से दुर्घटना में घायल होने पर अस्पताल में होनेवाले इलाज का पूरा खर्च विभाग की ओर से दिया जाता है. इसके अलावा चलती बिजली का तार टूटकर गन्ना आदि फसल की बर्बादी होने पर 6 माह के भीतर मुआवजा देने का काम विभागीय संचालक के स्तर पर किया जाता है लेकिन अब 3 माह में देने के आदेश दिए जाएंगे.

चर्चा के दौरान विधायक बच्चू कडू ने बताया कि एक घटना में 24 वर्ष के युवक की मृत्यु हो गई जिससे उसका पूरा परिवार बेसहारा हो गया. ऐसे में 4 लाख रु. का मुआवजा किसी काम का नहीं है. यदि जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की जाती है, तो पीड़ित बीमा के लिए अपील में जा सकता है. इन अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग भी की.