Published On : Tue, Jul 24th, 2018

6 महीने में जिले के 22 किसानों ने की आत्महत्या

Advertisement

Representational Pic

नागपुर: प्रकृति के प्रकोप और कर्ज के बोझ तले दबे होने से राज्य में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला लगातार जारी है. सरकार द्वारा पैकेज की घोषणा और कर्ज माफी योजना के बाद भी आत्महत्या का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 18 वर्षों में जिले में 723 किसानों ने आत्महत्या की है. जबकि पिछले 6 महीने में 22 किसानों ने अपनी जान दी है.

प्रकृति के दुष्टचक्र, कभी अतिवृष्टि तो कभी सूखे की वजह से किसानों की हालत दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है.फसल लगाने पर खर्च की गई रकम की कीमत तक नहीं निकलती. बाजार में उचित मूल्य नहीं मिलने जैसी अनेक विसंगतियों की वजह से किसान हलाकान हो गये हैं. कई बार स्थिति यह भी होती है कि फसल कटने को आने के मुहाने पर बारिश हो जाती है, जिससे भारी नुकसान झेलना पड़ता है. यही वजह है कि जिले सहित विदर्भ में किसानों में घोर निराशा का माहौल है. हालांकि पिछले दिनों सरकार द्वारा भरपूर मदद की जा रही है, लेकिन पहले ही बिगड़े हालात को संभालना मुश्किल हो रहा है. यही वजह है कि किसान निराशा की वजह से गले में फंदा डालकर झूल रहे हैं.

6 किसान ही मदद के लिए पात्र
आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलारकर द्वारा जिले में किसानों की आत्महत्या के संबंध में मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है. जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा दिये गये जवाब में बताया गया कि 2001 से 30 जून 2018 तक जिले में 723 किसानों ने आत्महत्या की है. हालांकि आत्महत्याग्रस्त किसानों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जाती है, लेकिन उसकी शर्तें और नियम भी सख्त है. यही वजह रही कि 723 किसानों में से केवल 270 आत्महत्याग्रस्त किसानों के परिजनों को ही मदद मिल सकी. उक्त सभी मामले 1 लाख रुपये की सहायता के लिए पात्र हुए. पिछले 6 महीनों में 22 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से केवल 6 ही प्रकरण मदद के लिए पात्र हुए हैं.

Gold Rate
20 May 2025
Gold 24 KT 93,400/-
Gold 22 KT 86,900/-
Silver/Kg 95,700/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

निराशा दूर करने 6,366 किसानों को किया भर्ती
सरकार द्वारा कर्जमाफी सहित विविध योजनाओं की घोषणाओं के बाद भी राज्य में जून के अंत तक 1300 किसानों ने आत्महत्या की है. राज्य में 29,000 किसान निराशा के माहौल में होने से उन्हें विविध अस्पतालों में भर्ती कर मानसिक तनाव से दूर करने हेतु उपचार किया जा रहा है.

दरअसल किसानों का यह आंकड़ा सरकार ने मानसून अधिवेशन के दौरान जारी किया था. पिछले 2 वर्ष में 14 जिलों में 22,565 किसानों ने राज्य के विविध हिस्सों के अस्पतालों में ओपीडी में उपचार कराया जबकि अन्य 6366 किसानों को भर्ती किया गया. जून अंत तक 1300 किसानों ने आत्महत्या की. विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता धनंजय मुंडे ने इस मामले में श्वेतपत्रिका जारी करने की भी सरकार से मांग की थी.

Advertisement
Advertisement
Advertisement