नागपुर: साल 2016 में 14 बाघों की जानें गई हैं। वन विभाग इसमें ही खुश है कि 14 में से शिकार केवल 1 बाघ का ही हुआ है जबकि 11 बाघ कुदरती तौर से मारे गए हैं और केवल 2 बाघ दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं। शिकार से मारे जानेवाले बाघों की घटती संख्या को वन विभाग ने अपने कुशल वन प्रबंधन का परिणाम बताया है।
वन विभाग के मुताबिक 2012-13 में दर्जनों बाघों के शिकार होने से सबक लेते हुए दिन व रात की गश्तियों, खुफिया सूचनाओं, कैमरा ट्रैप से निगरानी और डाटा बेस का सहारा लेते हुए वन व वन्यजीवों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया। टाइगर रिजर्व में अवैध घुसपैठ व गतिविधियों की रोकथाम के लिए एसटीपीएफ(स्पेशल टाइगर रिजर्व फोर्स) की टुकड़ियों को ताड़ोबा अंधारी, पेंट, मेलघाट और नवेगांव नागझिरा टाइगर रिजर्व में तैनाती की। हर टुकड़ी सहायक वनसंरक्षक, 3 आरएफओ, 81 वनरक्षकों और 27 वन निरीक्षकों का समावेश रहता है। केवल यही नहीं आरएफओ वर्ग के अधिकारियों को गश्ति के लिए पेट्रोलिंग वाहन, मिनी ट्रक और वैन दिया गया है ताकि आपातकाल में स्पाटफ को मदद मुहैय्या कराई जा सके।
इसी तरह फील्ड स्टाफ अर्थात सीधे जंगल की पहरेदारी करनेवाले वनसरक्षकों को 9 एमएम पिस्टल, पंप एक्शन गन और एसएलआर बंदूकें से लैस रखा गया है। साइबर सेल की मदद इसमें और सहायक साबित होती है। इसी तरह बहेलिया समुदाय की नगरानी भी पूरी सतर्कता के साथ की जाती है। गुप्त फंड, खोजी श्वान दल, वन्यजीवों से घायल, मारे जाने या फसल नुकसान होने की स्थिति में तुरंत नुकसान भरपाई आदि कार्यों ने भी बड़ी भूमिका अदा की है। मानव – वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए विभाग की ओर से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर अपनाया है। इसके तहत इंसानी इलाकों में भटकनेवाले बाघों को पिंजरे आदि में पकड़ने के लिए विशेष टीम की नियुक्ति की गई है जो साल भर अपनी कार्रवाईयां जारी रखती हैं।
लेकिन इन सब के बीच एक जानकारी ऐसी भी जो दु:खद है। 1 अप्रैल 2015 से लेकर 16 अगस्त 2016 तक बाघों के हमले से तकरीबन 10 इंसानों की मौत हुई है जबकि इतने ही घायल हुए हैं। तेंदुओं ने इंसानों को मारने में बाघों को भी पीछे छोड़ते हुए 50 इंसानों को मौत के घाट उतारा है वहीं 855 गांववालों इसी कालखंड में घायल कर दिया। सरकार को इसके चलते क्षतिपूर्ति निधि के रूप में मृतक के परिवारों को 3.94 करोड़ रुपए देने पड़े जबकि 3.68 करोड़ रुपए घायल होनेवाले व्यक्ति को दिए हए। किसानों को फसल नुकसान भरपाई के तौर पर 19.23 करोड़ रुपए दिए हैं।
इस काल खंड में शाकाहारी वन्यजीवों द्वारा फसल नुकसान के कुल 49 हजार 334 मामले दर्ज किए गए हैं। किसानों में जागरुकता लाने के लिए 2509 गांवों में नियमित बैठकों, कार्यक्रमों, पोस्टरों के वितरण के अलावा संयुक्त वन व्यवस्थापन व ऑफिस बेररों की मदद से फिल्म दिखाई जाती है। भालुओं और नीलगायों द्वारा फल को पहुचाए गए नुकसान की भरपाई और सुरक्षा के लिए जंगल से लगे खोतों की सौर ऊर्जा आधारित तारों की सुरक्षा बेड़े(फेंसिंग) डॉ. श्यामा प्रसाद जन वन विकास योजना के तहत उपलब्ध कराई जाती है।