Published On : Mon, Dec 8th, 2014

यवतमाल : विदर्भ में गत 72 घण्टों में 11 किसानों की आत्महत्या

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  • युति सरकार ने फसलकर्ज माफी, निर्र्धारित मूल्यों के आश्वासन नहीं किए पूर्ण
  • किसानों में बढ़ी निराशा से उठाए आत्महत्या के कदम

यवतमाल। पिछले 72 घण्टों में अकालग्रस्त विदर्भ में और 11 किसानों की कर्ज के बोझ तथा  बार-बार असफलता के चलते आत्महत्या की तो  भाजप -शिवसेना युति की सरकारने  लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के दौरान 7/12 कोरा करने तथा लागत खर्च और 50 फिसदी मुनाफा ऐसा निर्धारित मूल्य देने का आश्वासनों की पूर्ति के लिए याने सरकारी तिजोरी खाली होने से संभव नहीं है. जिससे त्रस्त किसानों युती सरकार के आश्वासनों की पूर्ति न करने से विदर्भ के 11 किसानों ने पिछले  72 घण्टों में अपनी जीवनयात्रा समाप्त की. जिसमें यवतमाल जिले के देहली निवासी  मोरेश्वर चौधरी, यवतमाल जिले के साखरा निवासी सुरेश जाधव, यवतमाल जिले के नागरगाव निवासी तात्याजी सोनुर्ले, यवतमाल के धारफल निवासी हंसराज भगत , अमरावती जिले के रामपुर निवासी कचरु तुपसुंदरे, अमरावती के माथान निवासी नामदेव खंडारे, बुलडाणा जिले के चांडोले निवासी वामन राउत, बुलडाणा के आजनी निवासी उमाशंकर काटकर, नागपुर के बोरगाव निवासी केशव  चौधरी, भंडारा के खराड़ी निवासी पांडुरंग हिवसे और गड़चिरोली के  नगरीनिवासी रेवनाथ भारसाकले इन 11 किसानों ने आत्महत्या की है.  इस वर्ष विदर्भ में कूल 1058 किसानों की आत्महत्या हुई होकर, सरकार की उदासीन रवैये से पिछले दो माह से बढ़ी है. जिससे संबंधित अधिकारी किसानों केे दिक्कतों को सरकार तक नहीं पहुंचाने से सरकारी सहायता को विलंब होने का आरोप विदर्भ जनआंदोलन समिति के किसान नेता किशोर तिवारी ने किया है.

कपास और सोयाबीन को गत तिन वर्षों से दिया जानेवाला गैरंटीमूल्य किसानों पर अन्याय है. इसलिए किसान आत्महत्या कर रहें है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया फार्मूला लागत पर 50 फिसदी मूनाफा पर कब अमल होगा? इस फॉर्मूले से कपास को 6 तो सोयाबीन को 5 हजार का मूल्य केंद्र और राज्य की भाजपाई सरकार क्यों नहीं दें रहीं? ऐसा सवाल भी उन्होंने पूछा है. तो किसान आत्महत्या बढ़ेंगी इन दिनों किसान बेहाल है, उसके पास दो वक्त खाने के लिए जुगाड़ नहीं है. कहीं से पैसे मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है. कोई ऐसी आशा की किरण भी नहीं है, आज नहीं तो कल उनके अच्छे दिन आएंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान यही जनता की नब्ज पकड़ी थी. और सुनहरा सपना दिखाया था. लोगों ने भी उनकी बात सच मानकर राज्य और केंद्र में सत्ता दे दी. मगर अच्छे दिन आने का कोई अतापता नहीं है. सत्ताप्राप्ती के लिए जिन भाजपाई नेताओं ने किसान आत्महत्या को सिडी बनाई थी, आज वे किसी भी किसान आत्महत्या की  घटना होने के बाद उनके यहां जाना भी पसंद नहीं करते है.

इसलिए निराश किसानों की प्रतिदिन 5 की संख्या में आत्महत्या हों रही है. अगर यही सिलसिला रहा तो आगामी कुछ माह में यह संख्या दुगनी होकर प्रतिदिन 10 किसानों की आत्महत्याएं हो सकती है. इसलिए सरकार को चाहिए कि, प्रति किसान को प्रति हे टेयर 25 हजार रुपए का अनुदान, कर्जमाफी कर नया फसल कर्ज दें, किसान और किसान मजदूरों को अंत्योदय योजना का लाभ दें, सभी किसानों को रोगायो योजना से 100 दिन काम मिले, इन लोगों के नि:शुल्क स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा तथा उनके कन्याओं के ब्याह के लिए अनुदान दें. ऐसा सूझाव भी किशोर तिवारी ने दिया है.

Representational Pic

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