अकोला। अकोला निवासी लक्ष्मण चावला ने अपने परिचित को वर्ष 2003 में 2 लाख 50 हजार रूपए निवेश के लिए दिए थे. जिसकी वापसी के लिए पिता पुत्र ने 9 फरवरी 2013 का चेक दिया था. लेकिन उक्त धनादेश खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण वापस आ गया. इस मामले में न्यायालय में याचिका दायर करने पर न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी मानते हुए अलग-अलग मामलों में 1 एक वर्ष का कारावास तथा शिकायतकर्ता को 9 लाख रूपए अदा करने के निर्देश दिए.
न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अकोला निवासी लक्ष्मण उभ्रीयोमल चावला ने जलगांव निवासी कैलास मिर्चुमल बजाज तथा र्चुमल मथुरादास बजाए को 5 मई 2003 को निवेश के रूप में 2 लाख 50 हजार रूपए दिए थे. उक्त राशि मिलने के पश्चात दोनों पिता पुत्र ने अलग-अलग पर्ची दी थी. उक्त राशि तथा ब्याज अदा करने के लिए आरोपियों ने बैंक आफ महाराष्ट्र का 7 लाख 34 हजार 338 रूपए का चेक 9 फरवरी 2013 का दिया था. उक्त चेक को शिकायतकर्ता ने अपने खाते में लगने पर आरोपियों के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण वापस कर दिया. जिससे शिकायतकर्ता ने दोनों आरोपियों को राशि अदा करने की मांग की किंतु आरोपियों ने उनकी मांग को अनदेखी करते हुए नोटिस का जवाब नहीं दिया. जिससे शिकायतकर्ताने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में निगोशिएबल एक्ट की धारा 138 के तहत न्यायालय में याचिका दायर की.
उक्त अभियोग की सुनवाई 6 वे प्रथमश्रेणी न्यायदंडाधिकारी एस.एस. जांभले के न्यायालय में हुई. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के पश्चात न्यायाधीश ने दोनों आरोपियों को अलग-अलग मामलों में दोषी मानते हुए 1 वर्ष की कारावास तथा 9 लाख 34 हजार 338 रूपए अदा करने के निर्देश दिए. उक्त राशि में से 9 लाख रूप शिकायतकर्ता को दिए जायेगे. उक्त राशि अदा न करने पर आरोपियों को अतिरिक्त 2 माह की सजा भुगतनी होगी. वहीं न्यायालयीन खर्च के लिए आरोपियों को 20 हजार रूपए शिकायतकर्ता को देने होंगे उक्त राशि न देने पर आरोपियों को अतिरिक्त 2 माह की सजा भुगतनी होगी. आरोपियों की ओर से अधिवक्ता एस रफीक अहमद तथा शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुशिल व्ही तलरेजा ने पैरवी की.
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