Published On : Sat, Apr 26th, 2014

नवेगांव बांध : हर मंदिर में हो मेरे हाथों की बनी मूर्तियां

Advertisement


मूर्तिकार नकटू सोनवाने की अनोखी इच्छा

बना चुके हैं 100 से अधिक मूर्तियां

नवेगांव बांध

प्रतापगढ़… अर्जुनी मोरगांव तालुका का एक छोटा सा गांव. पड़ोस में ही घना जंगल और बाजू से गुजरती इटियाडोह बांध की नहर इस गांव की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. महादेव पहाड़ी पर लगने वाली महाशिवरात्रि की यात्रा और ख्वाजा उस्मान गनी हारुनी की दरगाह पर भरने वाले उर्स के लिए भी प्रतापगढ़ जाना जाता है. इसके साथ ही प्रतापगढ़ की ख्याति को बढाने में मशहूर मूर्तिकार और चित्रकार नकटू महादेव सोनवाने ने भी महती भूमिका निभाई है.

Gold Rate
27 June 2025
Gold 24 KT 96,400 /-
Gold 22 KT 89,700 /-
Silver/Kg 1,07,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

img3
कला बनी आजीविका का साधन

मूलतः जेवनाला (पलांदुर) के रहने वाले नकटू 1970 के आसपास परिवार के साथ प्रतापगढ़ चले आए और फिर यहीं के होकर रह गए. मूर्तिकला अथवा चित्रकला से परिवार का कोई सम्बन्ध कभी नहीं रहा. जब चौथी कक्षा में थे तभी से मूर्ति बनाने में रुचि लेने लगे. इस चक्कर में दसवीं से अधिक पढ़ नहीं पाए. बचपन में मवेशी चराने जाते थे. वहां नाले की चिकनी रेत पर लकड़ी से विभिन्न प्रकार के चित्र बनाते. फिर मिट्टी से कुछ-कुछ बनाने लगे. दीवारों पर चित्र बनाने लगे. लेकिन तब यह सब शौकिया ही चल रहा था. उसके बाद शुरू हुआ अपनी कला से आजीविका कमाने का काम.

सौ से अधिक मूर्तियां गढ़ी
अब से कोई दस साल पहले गांव के लोगों के अनुरोध पर डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, भगवान गौतम बुद्ध और वीर बिरसा मुंडा की मूर्तियां निःशुल्क बनाई. पत्थर की ये मूर्तियां बिना किसी प्रशिक्षण अथवा बिना किसी के मार्गदर्शन के किया. यहीं से वे मूर्तिकार के रूप में पहचाने जाने लगे. बाबासाहब को अपना गुरु मानने वाले नकटू द्वारा बनाई गई तीनों मूर्तियां आज भी प्रतापगढ़ की शोभा बढ़ा रही हैं. नकटू अब तक डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, भगवान गौतम बुद्ध, वीर बिरसा मुंडा, वीर बाबूराव शेडमाके, सुभाषचंद्र बोस, छत्रपति शिवाजी महाराज, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज, गाडगे बाबा, दुर्गा माता, शारदा माता, भगतसिंह, संत गोरा कुम्भार, घोड़े, बाघ सहित एक सौ से ऊपर मूर्तियां बना चुके हैं. उनकी बनाई मूर्तियां गोंदिया, भंडारा, गढ़चिरोली, चंद्रपुर, नागपुर जिले तक पहुंच चुकी हैं.
img2
गुणवत्तापूर्ण सामग्री का इस्तेमाल
उम्र के 56 वसंत देख चुके नकटू का मूर्तियां बनाने का काम बदस्तूर जारी है. हालांकि अब वे विसर्जन की जानेवाली मूर्तियां और घरों की दीवारों पर चित्रकला बनाने का काम छोड़ चुके हैं. मूर्तियां बनाने के लिए वे अच्छी और गुणवत्तापूर्ण सामग्री का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए कोई समझौता उन्हें मंजूर नहीं है.

हर मंदिर में हो उन्हीं की बनाई मूर्ति !
नकटू सोनवाने का बेटा प्रकाश भी उनका हाथ बटाते-बटाते कब मूर्तियां बनाने लगा, पता ही नहीं चला. नकटू बताते हैं, बस अब एक ही इच्छा है कि उनके हाथ की बनाई मूर्तियां भंडारा और गोंदिया जिले के हर मंदिर और देवालय में दिखाई दें. अपनी इस इच्छा को पूरी करने में वे जुटे भी हैं. उम्मीद करें, उनकी ये अनोखी इच्छा शीघ्र पूरी हो.

Advertisement
Advertisement